कल्याण केसरी न्यूज़ अमृतसर , 2अक्तूबर : -ज़िले में शुरू हुई धान की कटाई को ध्यान में रखते हुए ज़िलाधीश गुरप्रीत सिंह ने सभी विभागों के अधिकारियों को हिदायत की है कि वह अपने कर्मचारी, जितना की पराळी को साड़न सम्बन्धित रिपोर्ट करने की ड्यूटी लगाई जा उठाई है, को स्पष्ट कर देने कि वह उपग्रह से मिलती सूचना के आधार पर मौको पर पहुँचने।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर बहुत सख्ती के रवानी में है और ग्रीन ट्रिब्यूनल भी इस मौको की पल -पल की ख़बर ले रहा है, सो हमारा सभी का फ़र्ज़ बनता है कि हम अपनी ड्यूटी में कोताही न करते हुए हर मौको की रिपोर्ट समय सिर करें। ज़िलाधीश ने कहा कि पराळी को जलाने सम्बन्धित सरकार की तरफ से जो निर्देश प्राप्त हुए हैं, उस अनुसार कानूनी कार्यवाही अमल में लाई जाये।
उन्होंने सभी यह डी एम को हिदायत की कि वह अपने -अपने इलाको की निगरानी करते हुए बिना यह एम यह से कोई कम्बायन न चलने देने, जिससे किसान को पराळी खेत में खेती की कोई मुशिकल न रहे। ज़िलाधीश ने किसानों को भी अपील की कि वह अपनी ज़मीन की उपजाऊ शक्ति की रसायनिक खादें से निर्भरता कम करन के लिए पराळी को जलाने की जगह खेत में खेती , जिससे खेत का जैविक मादा बढ़ सगे। इस के साथ खेती खर्च किए कम करने में बड़ी मदद मिलेगी, जो कि सफल खेती के लिए ज़रूरी है।
उन्होंने कहा कि ज़िले में ऐसे सैंकड़े किसान हैं, जो कि कई सालों से पराळी को खेत में खेती कर रहे हैं, की नकल करो, न कि उस पड़ोसी की जो कि हर साल आग लगा कर अपनी ज़मीन को बंजर कर रहा है। उन्होंने कहा कि खेती हमारा मुख्य रोज़गार है और यदि हम खेत इसी तरह अपनी, गलतियाँ के साथ बंजर और उपजाऊ हीन करते रहे तो हमारी आने वाली पीढ़ीयें रोज़गार साथ-साथ रोटी से भी मोहताज हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि कोविड -19 के चलते धान की पराळी को आग लगाने साथ पैदा अधिक उपज ज़हरीले गैसों मानवीय सेहत को सब से अधिक प्रभावित करती हैं। उन्होंने कहा कि हवा के प्रदूषण के साथ आँखें,नाक,गले में जलन,चमड़ी के रोग,छाती का जकड़ने आदि ऐसे रोग हैं जो हवा के प्रदूषण बढ़ने साथ बढ़ते हैं।
मुख्य कृषि अफ़सर डा. कुलजीत सिंह सैनी ने कहा कि भविष्य की सुरक्षित खेती के लिए ज़रूरी हो जाता है कि धान की पराळी में जो खुराकी तत्व मौजूद होते हैं,उन को खेत में वाह कर दोबारा ज़मीन में भेजा जाये जिससे ज़मीन की हित में विस्तार हो सके। उन्होंने कहा कि हरेक किसान मित्र अपने दो गाँवों में धार्मिक स्थानों के द्वारा अनाउंसमैंट करके किसानों को धान की पराळी नाम साड़ण बारे विनती करेगा।
उन्होंने कहा कि धान की पराळी की खेत में संभाल संभाल के लिए सुपर सिडर के साथ गेहूँ की बिजवाई करवा कर प्रदर्शनियाँ भी लगाई जाएंगी।उन किसान मित्रों को अपनी अपने गाँवों में से किसानों के कृषि के साथ सम्बन्धित प्राथमिक आंकड़े एकत्रित करन के लिए भी कहा। उन्होंने कहा कि गेहूँ धान के फ़सली चकरी में लगातार गेहूँ का नाड़ी और धान की पराळी मिलाने वाले खेतों में खादें का प्रयोग सम्बन्धित नयी सिफ़ारिश की गई है।