कल्याण केसरी न्यूज़ अंमृतसर 21 दिसंबर:–—डा: जतिन्दर सिंह गिल मुख्य कृषि अफ़सर अमृतसर ने प्रैस मीडिया को किसानों बारे जानकारी देते बताया कि गेहूँ की बढ़िया पैदावार लेने के लिए समय सिर घास पातों की रोकथाम करने बेहद ज़रूरी है।
इस लिए गेहूँ की फसल में गिल्ली डंडे /सीटी की रोकथाम के लिए सलफोसलफूरान 75 डब्ल्यू जी 13 ग्राम पहली सिंचाई से 2से 3दिन पहले 20 दिनों की फ़सल में जब घास पात 2-3पत्तों की अवस्था में हो, 150 लीटर पानी इस्तेमाल कर कर की जा सकती है। जिन खेतों में गेहूँ के साथ सरसों /रायआ /चने या कोई ओर चौडी पत्ती वाली फ़सल रला कर बीजी हो, वहाँ सलफोसलफूरान रसायन का प्रयोग न करो और जितना खेतों में इस रसायन का प्रयोग की हो वहाँ अगले सावन की फ़सल गीलापन दौरान चरी (ज्वार) और मक्का की बिजवाई न की जाये। यदि घास पात नाशकों का प्रयोग पहली सिंचाई के बाद (घास पात उगने के बाद) करनी हो तो कलोडीनाफौप 15 डब्ल्यू पी 160 ग्राम, पिनोकसाडिन 5ई सी 400 मिलिलीटर, फिनौकसाप्रोप -पी -इथाइल 10 ई सी 400 मिलिलीटर, सलफोसलफूरान 75 डब्ल्यू जी 13 ग्राम को बिजवाई से 30 -35 दिनों अंदर 150 लीटर पानी इस्तेमाल कर कर छिड़काव करो।
उन्होंने बताया कि चौड़े पत्ते वाले घास पातों जैसे कि बथुआ, बिल्ली बूटी, जंगली हालों, पितपापरा, जंगली सेंजी, मैना, मैनी, जंगली पालक आदि की रोकथाम के लिए 2,4-डी सोडियम साल्ट 80 डब्ल्यू पी 250 ग्राम या 2,4-डी इथाइल एस्टर 38 ई सी 250 मिलिलीटर समय सिर बीजी गेहूँ में 35 से 45 दिनों और पिछेती (दिसंबर में) बीजी फ़सल के लिए 45 से 55 दिनों में 150 लीटर पानी में घोल कर सपरेय करो। कँटीली पालक की रोकथाम के लिए मैटसलफूरान 20 डब्ल्यू पी 10 ग्राम गेहूँ की बिजवाई से 30 से 35 दिनों में 150 लीटर पानी में घोल कर इस्तेमाल करो। यदि चौड़े पत्ते वाले घास पातों में ख़ास तौर पर बटन बूटी हो तो कारफैनटराज़ोन इथाइल 40 डी एफ 20 ग्राम और यदि मकोह, कँटीली पालक, रारी /रिवारी, हिरण एड़ी हो तो (मैटसलफूरान कारफैनटराज़ोन) 50 डी एफ 20 ग्राम बिजवाई से 25 -30 दिनों में 200 लीटर पानी में घोल कर इस्तेमाल करो।
उन्होंने कहा कि नदीननाशकों का छिड़काव निश्चित समय अनुसार साफ़ मौसम में एकसार करो। घास पात उगने से पहले बरताव वाले घास पात नाशकों के छिड़काव के लिए फ़लैट फेन या फलड्ड जैट नोजल, जबकि घास पात उगने के बाद बरताव वाले घास पात नाशकों के लिए फ़लैट फेन नोजल को पहल दो। घास पातों में रोधण शक्ति पैदा होने से रोकनो के लिए घास पात नाशकों की हर साल न्याय -बदल कर प्रयोग करनी चाहिए। घास पात नाशकों का प्रयोग के बाद घास पातों के जो पौधे बच जाते हैं उन को बीज बनने से पहले खोद दानव जिससे गेहूँ की आगे वाली फ़सल में घास पातों की समस्या कम सगे। हर साल इस तरह करने के साथ घास पातों की समस्या काफ़ी हद तक घटाई जा सकती है। उन्होंने किसानों से अपील की कि कुछ किसानों की तरफ से युरिया खाद में मैटरीब्यूजिन नदीननाशक मिक्स करके छट्टा दिया जा रहा है जो कि खेती माहिरों की तरफ से शिफारिश नहीं की जाती है। किसान वीरों को नदीननाशकों की चयन करने और प्रयोग के सही ढंग तरीके जानने के लिए सबंधित कृषि दफ्तरों में जा कर खेती माहिरों के साथ सलाह परामर्श ज़रूर करना चाहिए।