भारत का मुस्लिम समाज आई.एस आई.और एस. एफ जे. वाले पन्नू के बहकावे में नहीं आएगा : प्रो. सरचंद सिंह खियाला

कल्याण केसरी न्यूज़ अमृतसर, 22 फरवरी : भारत के मुस्लिम समुदाय को तथाकथित सिख फॉर जस्टिस के गुरु पटवंत सिंह पन्नू द्वारा मूर्ख नहीं बनाया जा सकेगा, जिन्होंने हिजाब विवाद पर ‘हिजाब रैफरैंडम’ और ‘उर्दिस्तान’ की बेतुकी मांगों का आह्वान किया है। इन विचारों को व्यक्त करते हुए, भाजपा नेता प्रो. सरचंद सिंह खियाला ने कहा कि भारत का पारंपरिक दुश्मन पाकिस्तान हमेशा भारत में अराजकता फैलाने की ताक में रहा है |

उन्होंने कहा कि इस बार कर्नाटक में शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब से पैदा हुए हालात का फायदा उठाने की कोशिश में पाकिस्तान ने अपनी कुख्यात एजेंसी आईएसआई के जरिए सिख फॉर जस्टिस के गुरपतवंत पन्नू  से हिजाब के मुद्दे पर एक वीडियो जारी करा कर मुस्लिमों को ‘हिजाब रैफरैंडम’ और ‘उर्दूस्तान’ के लिए फंड देने का लालच देकर आग में घी डालने की कोशिश की गई है। उन्होंने कहा कि एसएफजे पाकिस्तान से आईएसआई ने पंजाब और सिख समुदाय को गुमराह करने के लिए बनाया था, जिसके ‘खालिस्तान रैफरैंडम’ को सिख समुदाय ने पूरी तरह से खारिज कर दिया था।

सिखों को भड़काने और गुमराह करने की अपनी साजिशों में पन्नू की विफलता से पाकिस्तान निराश है। पन्नू के भारतीय मुसलमानों के “पाकिस्तान से सीखने” के आह्वान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, प्रो. सरचंद सिंह खियाला ने पूछा कि क्या पाकिस्तान से सिखाया जाना चाहिए कि जबरन धर्म परिवर्तन एक गुनाह नहीं है, बल्कि पुण्य है। जिसके आधार पर हिंदू जबरन धर्म परिवर्तन विधेयक को निरस्त कर दिया गया। पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान  में  लगभग एक हजार कम उम्र की लड़कियों का हर साल जबरन धर्म परिवर्तन किया जाता है। पन्नू वास्तव में एक सच्चे सिख हैं, तो भारत के आंतरिक मामलों को सूँघने के बजाय क्यों न अपने पाकिस्तानी आकाओं से पाकिस्तान में महिलाओं के साथ होने वाले दैनिक भेदभाव, उत्पीड़न और बलात्कार के बारे में पूछें? उन्होंने कहा कि भारत में मुस्लिम समुदाय की महिलाओं को समान अधिकार प्राप्त हैं।

आज भारतीय मुस्लिम महिलाएं बिना कोर्ट जाए तलाक ले सकती हैं। क्या भारतीय मुस्लिम समुदाय की पैरवी करने वाल पन्नू को पाकिस्तान में लड़कियों की शिक्षा, सुरक्षा और मानवाधिकारों की वकालत करने के लिए स्वात घाटी में स्कूल से लौटते समय रूढ़िवादी चरमपंथियों द्वारा गोली मार दी गई मलाला यूसुफजई याद नहीं है? मलाला समेत पाकिस्तान में महिलाओं के अपराध के खिलाफ आवाज उठाने वाली महिलाओं के प्रति आज भी नफरत और नकारात्मक रवैया क्यों है?  क्या आज भी पाकिस्तान में लड़कियों के शिक्षा के मूल अधिकार का हनन नहीं हो रहा है? क्या पन्नू को पाकिस्तान में सैकड़ों लड़कियों के स्कूलों का विनाश और हिंदू और सिख समुदायों की नाबालिग लड़कियों का अपहरण, बलात्कार और धर्म परिवर्तन नहीं दिखता है? भारतीय शिक्षण संस्थानों में एक ड्रेस कोड होना चाहिए या पसंद की पोशाक आदि पर छूट होनी चाहिए। यह बहस का विषय हो सकता है, लेकिन पाकिस्तान या एसएफजे का इस सब से क्या लेना-देना है? “आज हिजाब पर प्रतिबंध है, कल नमाज़ और फिर कुरान” कहना पन्नू के मानसिक असंतुलन का स्पष्ट संकेत है। प्रो. सरचंद सिंह खियाला ने कहा कि हिजाब भारत का आंतरिक मामला है जिसे कर्नाटक के माननीय उच्च न्यायालय ने  ख़ुद अपने हाथ लिया हुआ है | इसलिए धर्म के नाम पर मुसलमानों को बहकाने पर लगे पन्नू की दाल यहाँ भी नहीं गलने वाली। भारतीय कानून-व्यवस्था मुस्लिम लड़कियों की सुरक्षा के लिए वचनबद्ध है। भारत में किसी भी अल्पसंख्यक की धार्मिक आस्था और मुसलमानों के अस्तित्व को कोई खतरा नहीं है। न ही भारत में मुस्लिम समुदाय ‘उर्दूस्तान’ जैसे अलगाववाद के बारे में सोचता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन में सिखों और मुसलमानों समेत सभी अल्पसंख्यकों को समान अधिकार दिए गए हैं। इसलिए हिजाब विवाद को हवा देकर मुसलमानों को भड़काने की पन्नू, आईएसआई और पाकिस्तान की कोशिश कामयाब नहीं होने वाली है और जनमत संग्रह का कोई मतलब नहीं है.

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