कल्याण केसरी न्यूज़ जालंधर, 21 मार्च: आम आदमी पार्टी द्वारा पंजाब से राज्यसभा सांसदों के लिए पंजाब के बाहर रहने वाले लोगों के नाम भेजने पर कड़ा ऐतराज जताते हुए भारतीय जनता पार्टी पंजाब के महासचिव जीवन गुप्ता ने सवाल किया कि क्या आम आदमी पार्टी के पास राज्यसभा की सदस्यता के लिए पंजाब में रहने वाले लोग नहीं है? उन्होंने कहा कि पंजाब के लोग जिन्होंने पंजाब में आप की सरकार बनाने में बड़ा योगदान दिया, आम आदमी पार्टी ने उनकी ही पीठ में छुरा घोंप कर उनके साथ विश्वासघात किया गया है। उन्होंने कहा कि इससे आम आदमी पार्टी की पंजाब के प्रति भेदभाव वाली नीति व नीयत फिर से साफ़ हो गई है।
जीवन गुप्ता ने कहा कि आम आदमी पार्टी द्वारा राज्यसभा सांसद के लिए होने वाले चुनाव के लिए पंजाब से बाहर रहने वाले लोगों के लिए नाम दिए गए हैं, वह पंजाब तथा पंजाबियत के साथ सरासर धोखा है। आम आदमी पार्टी द्वारा पंजाब की जनता की क्षमता को नकार कर दिल्ली, बिहार और गुजरात के लोगों को राज्यसभा में भेजने की तैयारी पंजाब से अन्याय है। उन्होंने कहा कि राज्यसभा सांसदों के लिए उपयुक्त नॉमिनेशन पंजाब से ही जानी चाहिए। लेकिन आम आदमी पार्टी द्वारा पंजाब की जनता के साथ धोखा करते हुए पंजाब से बाहरी लोगों को पंजाब का प्रतिनिधित्व करने के लिए राज्यसभा भेजने के लिए चुना गया है। पंजाब के लोग खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। इन लोगों की ना तो कोई राजनीतिक बैकग्राउंड है और ना ही यह लोग पंजाब की समस्याओं के बारे में जानते हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब के लोग यह कभी स्वीकार नहीं करेंगें। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी द्वारा लिया गया फैसला पंजाब में काले दिन के रूप में लिखा जाएगा।
जीवन गुप्ता ने आम आदमी पार्टी के फासिले आलोचना करते हुए कहा कि जनता ने वोट आम आदमी के लिए दिए थे, लेकिन राज्यसभा में अमीरों और पंजाब से बाहरी लोगों को भेजा जा रहा है। पंजाब के बाहर के लोग पंजाब की समस्याओं और मुद्दों के साथ न्याय कैसे कर सकते हैं? पंजाब से बाहर रहने वाले लोग पंजाब व पंजाब की जनता की परेशानियां व समस्याओं के बारे में नहीं जानते। इसलिए वो अगर राज्यसभा के सांसद नियुक्त होते हैं तो वो पंजाब की समस्याओं को वहां कैसे उजागर करेंगें? उन्होंने कहा कि भाजपा माँग करती है कि पंजाब से राज्यसभा में जाने वाले सदस्य सिर्फ पंजाब के रहने वाले ही होने चाहिए, जो पंजाब की समस्याओं से भली-भांति अवगत हो और उसे संसद में उठा सकें।