राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग से धर्मांतरण के मामलों में हस्तक्षेप करने की अपील

कल्याण केसरी न्यूज़ मुंबई/अमृतसर, 11 जून : राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष सरदार इकबाल सिंह लालपुरा से मुलाकात कर सुप्रीम काउंसिल नवी मुंबई गुरुद्वारा के अध्यक्ष भाई जसपाल सिंह सिद्धू, ने मुंबई के सिख संगठनों और संगतों के तरफ से एक ज्ञापन को सौंपते हुए पादरी बाजिंदर सिंह के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने और उनके द्वारा की जा रही गतिविधियों को रोकने की अपील की है। 
इस बारे प्रो. सरचंद सिंह खियाला ने आज यहां बताया कि नई दिल्ली मुख्यालय में अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष के साथ बैठक के दौरान सिख प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे भाई जसपाल सिंह सिद्धू ने कहा कि पादरी बजिंदर, जो खुद को पैगम्बर बताते हैं, एक धर्मांतरण करने वाला ईसाई है और वह लोगों को गुमराह करने और धोखा देने के लिए अपने नाम के साथ “सिंह” नाम का उपयोग करता है। उन्हें “सिंह” शब्द का उपयोग करने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि “सिंह” अमृतधारी सिखों के लिए है। उन्होंने कहा कि पादरी बजिंदर ने एक यूट्यूब चैनल के जरिए पैगंबर बजिंदर सिंह के नाम से 600 से ज्यादा वीडियो अपलोड किए हैं। जिसमें उन्हें “जीवित ईश्वर” और एक “नबी” के रूप में चित्रित किया गया है जो चमत्कार कर सकते हैं।

वह अपने हाथ के स्पर्श से किसी भी बीमारी और बीमार को ठीक करने का दावा करता है। कई वीडियो में “बुरी आत्माओं” से ग्रस्त लोगों को ठीक करते हुए भी दिखाया गया है। भाई सिद्धू ने कहा कि जादू, अंधविश्वास और चमत्कारी दिखा कर पादरी बजिंदर के गरीबों और बीमारों को ठीक करने के नाम पर लोगों में धर्म परिवर्तित करने के कई विवाद हुए हैं। बजिंदर एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं और जो लोग उसके कार्यों के खिलाफ आवाज उठाते हैं, उन्हें न केवल उनके और उनके समूह द्वारा कानूनी कार्रवाई की धमकी दी जा रही है, बल्कि कई मामलों में झूठे आरोप लगा कर केस भी बनाएं गए हैं। उन्होंने आगे कहा कि तथाकथित “नबी” बाजिंदर सिंह ने “मुंबई पीस फेस्टिवल” नाम से मुंबई में धर्म परिवर्तन जैसे कार्यक्रम को आयोजित करने की योजना बनाई थी और दर्शकों को इकट्ठा करने के लिए कई बॉलीवुड सितारों द्वारा उनके कार्यक्रम का प्रचार भी किया गया था।

जिसके खिलाफ मुंबई के सिख संगतों और संगठनों ने कड़ा रुख अपनाया और स्थानीय पुलिस प्रशासन, महाराष्ट्र के राज्यपाल और गृह मंत्री (राज्य) के पास शिकायत दर्ज कराई। सामुदायिक दबाव के कारण पादरी को 12 मई का कार्यक्रम रद्द करना पड़ा। इस मामले को बाजिंदर सिंह और उनकी टीम द्वारा उच्च न्यायालय में ले जाया गया, जहां उन्हें बुरी तरह विफलता मिली। 19 मई और फिर 24 मई, 2022 को इस आयोजन को फिर से आयोजित करने का उनका प्रयास भी लोकों के विरोध के कारण सफल नहीं रहा। जनता के विरोध के कारण उन्हें उड़ीसा में 26 और 27 मई 2022 को बोलांगीर का कार्यक्रम भी रद्द करना पड़ा था। इस मौके पर भाई जसपाल सिंह सिद्धू ने श्री इकबाल सिंह लालपुरा के साथ पंजाब में हो रहे धर्मांतरण के मामलों पर चर्चा की और श्री लालपुरा से इन मामलों में हस्तक्षेप करने और बजिंदर सिंह के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की अपील भी की। श्री लालपुरा ने प्रतिनिधिमंडल को मामले की संवेदनशीलता को गंभीरता से लेने का आश्वासन दिया। भाई सिद्धू ने पंजाब के सिख संगतों और पंथिक संगठनों का ध्यान आकर्षित किया और जोर देकर कहा कि महाराष्ट्र और उड़ीसा में छोटी सिख आबादी के बावजूद, बजिंदर के धर्मांतरण को बार-बार विफल किया गया और फिर पंजाब में प्रभावशाली सिख समुदाय पंजाब मे बजिंदर सिंह और अन्य मिशनरी एव पाखंडियों को रोकने के बारे में चुप किस लिए है? प्रतिनिधिमंडल में भाई जसपाल सिंह सिद्धू, विक्की थॉमस, सतनाम सिंह बाजवा, अमरजीत सिंह रंधावा शामिल थे।

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