कल्याण केसरी न्यूज़ अमृतसर, 03 नवंबर, 2022 ; राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा दिनांक 03 नवंबर 2022 को संयुक्त सचिव, राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय की अध्यक्षता में गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर में उत्तर-1 तथा उत्तर-2 क्षेत्रों में स्थित केंद्र सरकार के कार्यालयों, बैंकों एवं उपक्रमों इत्यादि के लिए संयुक्त क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन एवं पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया।कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में नराकास अमृतसर की अध्यक्ष एवं मुख्य आयकर आयुक्त, अमृतसर सुश्री जहांजेब अख्तर, मुख्य आयकर आयुक्त, एवं नराकास अध्यक्ष गाजियाबाद, डॉ. शुचिस्मिता पलाई, राजभाषा विभाग के निदेशक बी. एल. मीना तथा संयुक्त निदेशक डॉ. राकेश बी. दुबे सहित उत्तर-1 एवं उत्तर-2 क्षेत्र के विभिन्न कार्यालयों के अधिकारी शामिल हुए l
कार्यक्रम में बोलते हुए संयुक्त सचिव, राजभाषा विभाग ने बताया कि पूरे देश में स्थित केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों एवं कार्यालयों आदि में राजभाषा संबंधी प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करने तथा सरकारी काम-काज में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने में राजभाषा विभाग की अहम भूमिका है । राजभाषा संबंधी संवैधानिक प्रावधानों का अनुपालन करने एवं सरकारी कामकाज में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए राजभाषा विभाग सतत प्रयासरत है और ये क्षेत्रीय सम्मेलन भी उसी दिशा में किए जाने वाले हमारे प्रयास हैं।
उनका कहना था कि राजभाषा के प्रभावी कार्यान्वयन की दिशा में काम करते हुए राजभाषा विभाग ने 13-14 नवंबर, 2021 को बनारस में पहला अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन आयोजित किया l साथ ही मई 2022 में पहली बार ही नई दिल्ली में केंद्रीय सचिवालय राजभाषा सेवा संवर्ग के अधिकारियों के लिए पहला तकनीकी सम्मेलन भी राजभाषा विभाग द्वारा आयोजित किया गया।डॉ मीनाक्षी जौली ने बताया कि इस वर्ष हिंदी दिवस-2022 तथा द्वितीय अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन का ऐतिहासिक आयोजन गुजरात के सूरत शहर में किया गया जिसमें माननीय गृह मंत्री जी के नेतृत्व में पूरे देश भर से आए दस हजार से अधिक हिंदी प्रेमियों/हिंदी सेवियों ने हिस्सा लिया।कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि राजभाषा विभाग द्वारा राजभाषा हिंदी के प्रयोग में तकनीक को निरंतर बढ़ावा दिया जा रहा है I राजभाषा विभाग ने स्मृति आधारित अनुवाद प्रणाली ‘कंठस्थ’ का निर्माण और विकास किया है जिसका प्रयोग सुनिश्चित कर सरकारी कार्यालयों में अनुवाद की गति एवं गुणवत्ता बढ़ाई गई है। इस टूल में अब तक लगभग 22 लाख वाक्य शामिल किए जा चुके हैं और पिछले दिनों सूरत में संपन्न हुए राजभाषा सम्मेलन में माननीय गृह मंत्री जी द्वारा इसके नए वर्जन (कंठस्थ 2.0) का लोकार्पण भी किया गया है जिसमें अब न्यूरल मशीन ट्रांसलेशन के साथ-साथ और भी अनेक नए फीचर्स जोड़े गए हैं जिससे इसकी उपयोगिता और भी ज्यादा बढ़ गई है। इसी कड़ी में राजभाषा विभाग की एक नई पहल है ‘हिंदी शब्द सिंधु’ जिसका लोकार्पण माननीय गृह मंत्री जी के कर-कमलों से सूरत में संपन्न हुआ है और जिसमें अब तक लगभग 51,000 शब्दों को शामिल किया जा चुका है और उसे विभाग द्वारा निरंतर अपडेट किया जा रहा है और नए-नए शब्दों को शामिल कर उसे समृद्ध किया जा रहा है। अमृत महोत्सव के अवसर पर जारी इस शब्दकोश को विधि, तकनीकी, स्वास्थ्य, पत्रकारिता तथा व्यवसाय आदि क्षेत्रों से तथा विभिन्न भारतीय भाषाओं से प्रचलित शब्दों को शामिल करते हुए तैयार किया गया है जो कि आने वाले समय में सुलभ संदर्भ के लिए एक अच्छे शब्दकोश के तौर पर कारगर होगा।
डॉ जौली ने यह भी कहा कि राजभाषा विभाग द्वारा केंद्र सरकार के कार्यालयों में राजभाषा हिंदी के कार्यान्वयन पर नजर रखने के लिए देश के विभिन्न प्रमुख नगरों में नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों का गठन किया गया है | इस समय पूरे देश में इन समितियों की कुल संख्या 527 है | विदित हो कि आज आयोजित होने वाले क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन एवं पुरस्कार वितरण समारोह के उत्तर-1 क्षेत्र में दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब तथा केंद्रशासित राज्य़ चंडीगढ, जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख राज्य तथा उत्तर-2 क्षेत्र में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों के केंद्रीय कार्यालयों को पुरस्कार वितरित किए गए ।इस अवसर पर अपने संबोधन में मुख्य अतिथि नराकास अमृतसर की अध्यक्ष एवं मुख्य आयकर आयुक्त, अमृतसर सुश्री जहांजेब अख्तर ने कहा कि भाषा की बात मन से होती है और संचार का सशक्त माध्यम है इसलिए भाषा का प्रयोग भी सचेतन होकर करना चाहिए l उनका कहना था कि इस ऐसा प्रयास होना चाहिए कि भाषा जोड़ने का माध्यम बने और हिंदी इस भूमिका का निर्वहन कर रही है lकार्यक्रम में बोलते हुए मुख्य आयकर आयुक्त, एवं नराकास अध्यक्ष गाजियाबाद, डॉ. शुचिस्मिता पलाई का कहना था कि हमें अधिक से अधिक कार्य हिंदी में कर अपने संवैधानिक दायित्व पूर्ण करने चाहिए l
इस अवसर पर अतिथियों का स्वागत करते हुए राजभाषा विभाग गृह मंत्रालय के निदेशक बी एल मीना ने कहा कि प्रेरणा, प्रोत्साहन एवं सद्भावना पर आधारित संघ की राजभाषा नीति के अनुसरण में राजभाषा विभाग, देश के विभिन्न स्थानों पर क्षेत्रीय सम्मेलनों का आयोजन करता आ रहा है I वर्ष 1985 से निरंतर इन सम्मेलनों का आयोजन किया जा रहा है और अब तक कुल 109 सम्मेलनों का आयोजन पूरे देश भर में किया जा चुका है । मीना ने बताया कि इन क्षेत्रीय सम्मेलनों का उद्देश्य राजभाषा नीति के कार्यान्वयन में आ रही समस्याओं का समाधान ढूँढना और इस दिशा में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को प्रोत्साहित करना है l धन्यवाद ज्ञापन राजभाषा विभाग के संयुक्त निदेशक राकेश बी दुबे द्वारा किया गया l