केंद्र सरकार ने खरीफ की फसलों का समर्थन मूल्य बढ़ाकर देश के किसानों को दी बड़ी सौगात : राजेश बाघा

कल्याण केसरी न्यूज़ जालंधर, 9 जून : भारतीय जनता पार्टी पंजाब के प्रदेश महासचिव राजेश बाघा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की भारतीय जनता पार्टी की सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी में की गई बढ़ौतरी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कृषि मंत्री नरिंदर सिंह तोमर का धन्यवाद करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने खरीफ की फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाकर देशभर के किसानों को बड़ी सौगात दी है। अब केंद्र की भाजपा सरकार इसी रेट पर किसानों से खरीफ की फसल खरीदेगी।

                राजेश बाघा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक में खरीफ की फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है। उन्होंने कहा कि पिछले 9 वर्षों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार किसानों के हित में काम कर रही है। हमने लागत से 50 फीसदी ऊपर एमएसपी देना शुरू किया, जो आज भी निरन्तर जारी है। राजेश बाघा ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने खरीफ की 14 फसलों समेत 17 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ा दिया है। फसल वर्ष 2022-23 के लिए धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 100 रुपए की बढ़ोतरी की गई है। तिल के न्यूनतम समर्थन मूल्य में कुल 523 रुपये की बढ़ोतरी की गई है। जबकि सूरजमुखी के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 385 रुपए की बढ़ोतरी की गई है। कपास के मूल्य के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 354 रुपये की वृद्धि की गई है। सोयाबीन के समर्थन मूल्य में 350 रुपए की बढ़ोतरी की गई है। उड़द, मूंगफली, अरहर के दाम में 300 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है। इस बार मक्के का एमएमपी पिछले साल के मुकाबले 92 रुपए ज्यादा है। ज्वार पर 232 और रागी पर 201 रुपये की बढ़ोतरी की गई है। सामान्य धान और ग्रेड ए धान पर 100 रुपये की बढ़ोतरी की गई है। उन्होंने कहा कि पिछले नौ वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ‘बीज से बाजार तक’ के सपने पर आधारित भारतीय कृषि को एक नई गति मिली है और यह यात्रा निरंतर जारी रहेगी। पिछले नौ वर्षों में, भारतीय कृषि क्षेत्र से संबंधित पूरी प्रणाली में व्यापक बदलाव आया है, जिसने इसे आधुनिक, वैज्ञानिक और समृद्ध बनाया है। आज भारतीय किसान ना केवल भारत के लिए खेती कर रहे हैं बल्कि पूरी दुनिया को भारतीय उत्पादों के लिए एक बड़े बाजार के रूप में देख रहे हैं।

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