कल्याण केसरी न्यूज़ अमृतसर 18 सितंबर 2023—कृषि विभाग ब्लॉक वेरका द्वारा धान की पराली को जलाने की बजाय पराली की गांठें बनाई गईं। धान की पराली जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होता है, मिट्टी की उर्वरता कम होती है और मित्र कीट भी नष्ट हो जाते हैं।ये शब्द खंड कृषि अधिकारी डॉ. वेरका ने व्यक्त किए। हरप्रीत सिंह ने गांव फतेहगढ़ शुक्रचक्क में पराली की गांठें बनाते हुए कहा।मुख्य कृषि अधिकारी डाॅ. डॉ. जितेन्दर सिंह गिल जी के निर्देशन में। हरप्रीत सिंह ब्लॉक कृषि अधिकारी और हरगुर्नद सिंह एईओ। ग्राम नबीपुर के किसान जसविन्दर सिंह के खेतों में बेलर, रेक मशीन से भूसे की गांठें बनाई गईं।
इस अवसर पर डाॅ. हरप्रीत सिंह ने कहा कि पराली जलाने से पर्यावरण तो प्रदूषित होता ही है, साथ ही जमीन के तत्व भी जल जाते हैं, साथ ही मित्र कीट आदि भी मर जाते हैं।डॉ. हरप्रीत सिंह ने कहा कि पराली जलाना भी कानूनी अपराध है।ऐसा करने वाले किसानों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। पराली जलाने से रोकने के लिए कृषि विभाग शिविर लगाकर, स्कूलों में पराली न जलाने पर निबंध प्रतियोगिता, पेंटिंग प्रतियोगिता और वॉल पेंटिंग आदि आयोजित कर किसानों को प्रोत्साहित कर रहे हैं।डॉ बात करते हुए हरप्रीत सिंह ने कहा कि पुआल की गांठें उद्योग में उपयोग की जाती हैं, जिससे किसानों को आर्थिक लाभ होता है. आज फतेहगढ़ शुक्रचक, खानकोट, नबीपुर ओठियां आदि गांवों में बेलर से गांठें बनाई जा रही हैं । इस मौके पर किसान जसविंदर सिंह नबीपुर और अन्य किसानों ने सरकार से अपील की कि धान की गांठें बनाने में प्रति एकड़ करीब 3000 से 3500 रुपये का खर्च आता है और सरकार को किसानों को आर्थिक मदद देने के बारे में सोचना चाहिए.इस अवसर पर डाॅ. गुरजोत सिंह एडीओ हरगुर्नद सिंह एईओ गुरदेव सिंह ए.एस.आई एस। जसविंदर सिंह नबीपुर, अमनप्रीत सिंह नबीपुर, जसपाल सिंह, हरप्रीत सिंह, बलविंदर सिंह, अमरप्रीत सिंह, जगनदीप सिंह और सुखदेव सिंह फतेहगढ़ शुक्रचक आदि किसान मौजूद रहे।