
कल्याण केसरी न्यूज़, अमृतसर, 21 जुलाई 2025: कृषि मंत्री सरदार गुरमीत सिंह खुडि्डया की सक्रिय अगुवाई और कृषि एवं किसान कल्याण विभाग पंजाब के प्रशासनिक सचिव श्री बसंत गर्ग (आई.ए.एस.) के दिशा-निर्देशों के तहत, संयुक्त निदेशक कृषि (नकदी फसलें) पंजाब, श्री तेजपाल सिंह द्वारा मुख्य कृषि अधिकारी अमृतसर श्री बलजिंदर सिंह भुल्लर और उनकी टीम के साथ जिले के विभिन्न खाद थोक विक्रेताओं के बिक्री केंद्रों, गोदामों और रिकॉर्ड की जांच की गई। इस निरीक्षण का मुख्य उद्देश्य जिले में थोक विक्रेताओं द्वारा रिटेल डीलरों को की जा रही यूरिया खाद की आपूर्ति की निगरानी करना था।
संयुक्त निदेशक कृषि (नकदी फसलें) श्री तेजपाल सिंह ने कहा कि इन दिनों सोशल मीडिया पर कुछ ऐसी वीडियो वायरल हो रही हैं जिनमें किसान धान और मक्का की फसलों में यूरिया खाद को गलत और अवैज्ञानिक तरीकों से प्रयोग करते दिख रहे हैं, जो पूरी तरह से गलत है। उन्होंने आशंका जताई कि कुछ किसान इन अवैज्ञानिक तरीकों को अपनाने का प्रयास कर सकते हैं। इसलिए उन्होंने प्रेस के माध्यम से किसानों से अपील की कि सोशल मीडिया पर फैले इन गलत तरीकों से सतर्क रहें और खादों का उपयोग कृषि विश्वविद्यालय की सिफारिशों और कृषि विशेषज्ञों की सलाह अनुसार ही करें।
मुख्य कृषि अधिकारी श्री बलजिंदर सिंह भुल्लर ने अपील करते हुए कहा कि किसान भाई धान की फसल में 90 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़ की मात्रा को तीन बराबर किश्तों में विभाजित करके डालें: पहली किश्त रोपाई के 7 दिन बाद, दूसरी किश्त रोपाई के 21 दिन बाद औऱ तीसरी किश्त रोपाई के 42 दिन बाद। कम अवधि की परमल किस्मों जैसे कि PR-126 के लिए खाद की तीनों किश्तें क्रमशः 7, 21 और 35 दिन बाद डालनी चाहिए। परमल धान की नई किस्म PR-132 को सामान्य सिफारिश से 25% कम खाद (लगभग 68 किलो यूरिया) दी जानी चाहिए।
ध्यान देने योग्य बात यह है कि दूसरी और तीसरी किश्त डालते समय खेत में पानी खड़ा नहीं होना चाहिए और खाद डालने के तीन दिन बाद ही खेत में पानी देना चाहिए। बासमती फसल के लिए खाद की सिफारिशें इस प्रकार हैं: पंजाब बासमती 5 और 7, पूसा बासमती 1121 और 1718 को 36 किलो यूरिया प्रति एकड़, पूसा बासमती 1847 और 1509 को 54 किलो यूरिया प्रति एकड़ खाद रोपाई के 3 सप्ताह और 6 सप्ताह बाद छिड़काव के साथ डालनी चाहिए।
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि यूरिया की मात्रा अनुशंसित मात्रा से अधिक डाली जाती है, तो पौधों की ऊंचाई और फूल निकलने की दर बढ़ जाती है, जिससे फसल गिर जाती है और उपज घट जाती है। साथ ही, अत्यधिक यूरिया खाद के उपयोग से फसल में कीट और रोगों का प्रकोप भी बढ़ जाता है जिससे खेती की लागत भी बढ़ती है और उत्पादन में कमी आती है। इसलिए सभी किसान भाइयों से अपील की जाती है कि वे खादों का प्रयोग केवल कृषि विशेषज्ञों की सिफारिशों के अनुसार ही करें।
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