मान द्वारा मनरेगा भ्रष्टाचार पर कार्रवाई न करना स्पष्ट करता है कि अपनों को बचा रहे हैं

कल्याण केसरी न्यूज़, चंडीगढ़, 31 दिसंबर 2025: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पिछले लगभग चार वर्षों में लाखों कमजोर, वंचित वर्गों, मजदूरों और दलित परिवारों को मनरेगा के तहत वैधानिक 100 दिन का रोजगार उपलब्ध नहीं कराया। ऐसा कर उन्होंने न केवल रोजगार की गारंटी छीनी, बल्कि गरीबों की थाली से रोटी छीनकर उनकी गरिमा और आत्मसम्मान को भी ठेस पहुंचाई है। यह कहना है भारतीय जनता पार्टी पंजाब कार्यकारी अध्यक्ष, अश्वनी शर्मा का । इस मोके पंजाब भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष सुभाष शर्मा एवं स्टेट मीडिया हेड विनीत जोशी भी उनके साथ थे ।
अश्वनी शर्मा ने कहा कि विधानसभा सत्र के दौरान स्पीकर द्वारा सीमित समय दिया जाता है और जितना समय मिलता है, उसमें सत्ता पक्ष के सदस्य बार-बार व्यवधान डालते हैं। इसी कारण उन्होंने 29 दिसंबर को मनरेगा से जुड़े गंभीर सवालों पर पत्रकार वार्ता कर जनता के सामने तथ्य रखे थे। उन्होंने कहा कि जिस तरह से उम्मीद थी, उसी तरह मुख्यमंत्री ने इन सवालों का कोई उत्तर नहीं दिया। यदि उनके पास जवाब होते, तो वे देते—क्योंकि जवाब देने से पूरे पंजाब को पता चल जाता कि मनरेगा के तहत गरीबों से रोजगार की गारंटी पंजाब की आप सरकार ने छीनी है।
शर्मा ने मीडिया के माध्यम से मुख्यमंत्री से पुनः प्रश्न किया कि जब केंद्र की मोदी सरकार पंजाब के हर मजदूर के लिए 100 दिन के रोजगार की राशि भेजती है, तो राज्य सरकार मजदूरों को पूरा रोजगार क्यों नहीं देती?
उन्होंने आगे सवाल उठाया कि वर्ष 2024–25 में 6,095 ग्राम पंचायतों और 2025–26 में 7,389 ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत अनिवार्य सोशल ऑडिट क्यों नहीं कराए गए—किसका भ्रष्टाचार छिपाया जा रहा है? साथ ही, स्पेशल ऑडिट यूनिट द्वारा पकड़े गए 10,653 भ्रष्टाचार मामलों में अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई और दोषियों को क्यों बचाया जा रहा है?
अश्वनी शर्मा ने कहा कि मनरेगा मजदूर और उनके संगठन लगातार आम आदमी पार्टी के विधायकों, सांसदों और स्थानीय नेताओं पर भ्रष्टाचार में संलिप्तता के आरोप लगा रहे हैं। इसके बावजूद सरकार और मुख्यमंत्री द्वारा कार्रवाई न करना स्पष्ट करता है कि मनरेगा में भ्रष्टाचार कर गरीबों के मुंह से आप नेताओं, विधायकों ने निवाला छीना गया है।
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