धरने छोड़ कर बच्चों की पढ़ाई पे ध्यान दे अध्यापक : शिक्षा मंत्री सोनी

अमृतसर : कैप्टन सरकार की ओर से एसएसए, रमसा अध्यापकों के वेतन में 65 प्रतिशत कटौती के फैसले के खिलाफ अध्यापकों ने मोर्चा खोला हुआ है। सोनी ने अध्यापकों को चेतावनी दी कि यदि अध्यापक स्कूल न गए तो नतीजा भुगतने के लिए तैयार रहें।  सोनी ने कहा कि अध्यापक स्कूल समय में धरना देकर बच्चों की पढ़ाई खराब न करें। यूनियन नेता तुरंत अपने स्कूलों में लौट जाएं, नहीं तो कानूनी कार्रवाई के लिए तैयार रहें। अध्यापक नेता बच्चों की पढ़ाई अपनी चौधर के लिए खराब न करे। यदि अधिक लीडरी का शौक है तो नौकरी छोड़ कर राजनीति में आ जाएं। उन्होंने अध्यापकों को अपील की है कि वह ऐसे नेताओं के पीछे लगकर अपना व विद्यार्थियों का भविष्य खराब न करें।

मंत्री ने कहा कि धरने पर बैठे उक्त अध्यापक जो पहले केंद्र सरकार के फंड के सहारे चल रही सोसायटियों के मुलाजिम थे व इन अध्यापकों का भविष्य सुरक्षित न होने के कारण हर समय इनकी नौकरी पर तलवार लटकती रहती थी, पर पंजाब सरकार ने इनको पक्का करने का फैसला यूनियन नेताओं से तीन मी¨टगों के बाद ही लिया है। यह अध्यापक अपने निजी स्वार्थ के कारण अध्यापकों को गुमराह कर रहे हैं।

सोनी ने कहा कि इससे पहले अध्यापकों की हुई भर्ती में इन सोसायटियों के 800 अध्यापक टेस्ट देकर स्थायी हुए है। उनको भी बेसिक तनख्वाह दी जा रही है। परंतु इन अध्यापकों को उनसे भी पांच हजार रुपये अधिक तनख्वाह देने का ऐतिहासिक फैसला पंजाब सरकार ने लिया है। इसलिए इन अध्यापकों को पंजाब सरकार क धन्यवाद करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे पहले यह अध्यापक बतौर सोसायटी कर्मी बीते लंबे अरसे से एक तरह हवा में ही थे , को पक्का करने का फैसला पंजाब सरकार ने इनके बढि़या भविष्य को मुख्य रख कर लिया है। अध्यापक धरने, प्रदर्शन छोड़ कर बच्चों की पढ़ाई की ओर ध्यान दे। यह उनका अहम क‌र्त्तव्य है। इस मौके पर डीईओ ऐलीमेंट्री सुनीता किरण, बीईओ चंद्र प्रकाश, प्रसिपल मंदीप कौर आदि मौजूद थे।

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