ज़मीन की सेहत सुधार के लिए हरी खाद और बंजरपन सुधार के लिए जिप्सम का प्रयोग की जाये: डायरैक्टर खेतीबाड़ी

कल्याण केसरी न्यूज़ अमृतसर , 24 मई –-डायरैक्टर कृषि और किसान भलाई विभाग डा: सुखदेव सिंह सिद्धू ने पंजाब राज के समूह मुख्य कृषि अफसरों के साथ वर्चुअल रिविऊ मीटिंग की गई और विभाग की चल रही स्कीमों का जायज़ा लिया गया। उन्होंने कहा कि ज़मीन में से लगातार सब्जियों, फल और फसलों की पैदावार लेने साथ ज़मीन की उपजाऊ शक्ति घटती है और तत्वों की पूर्ति के लिए रसयनिक खादों की उपभोग काफ़ी महँगी सिद्ध होती है। इस करके खेती खर्चों को घटाने, ज़मीन की उपजाऊ शक्ति को बरकरार रखने और क्वालिटी की पैदावार के लिए यंत्र की बिजवाई करके हरी खाद तैयार करन के साथ खादों का प्रयोग को काफ़ी हद घटाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि सावन की फ़सल 2021 दौरान ज़िला अमृतसर अंदर किसानों को 710 क्विंटल यंत्र का बीज 20 रुपए प्रति किलो की सब्सिडी और किसानों को मुहैया करवाया गया। जिल्हें अमृतसर में गेहूँ की कटाई उपरांत बासमती फ़सल की काश्त लगभग 1लाख हेक्टेयर और की जाती है। बासमती की काश्त से पहले यदि यंत्र की बिजवाई रांही हरी खाद तैयार की जाये तो बासमती की फ़सल को युरिया खाद पहनने की ज़रूरत ही नहीं पड़ती।उन्होंने किसानों से अपील की कि मिट्टी परख करवाने उपरांत नतीजा रिपोर्ट के आधार पर ही ज़रूरत मुताबिक खुराकी तत्वों को ज़मीन में पहनने की ज़रूरत होती है, जिस के लिए देसी कूड़े का ढेर, हरी खाद, शहरी कम्पोस्ट, वर्मी कम्पोस्ट, प्रैैस -मड्ड, फ़सली अवशेष -खूहन्द ज़मीन में एकसार बरताव के साथ जहाँ ज़मीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है वहाँ झाड़ में भी चोखा विस्तार होता है। उन्होंने बताया कि ज़मीन के बंजरपन सुधार के लिए सुसत अंदर 755 मीटरिक टन जिप्सम 50 फीसद सब्सिडी और उपलब्ध करवाया गया है। इसी तरह साुउनी की बिजवाई दौरान पानी की बचत करने भी समय की मुख्य माँग है। धान /बासमती की काश्त से पहले खेत को लैजर लैवलर के साथ सपाट करवा कर 25 -30% तक पानी की बचत की जा सकती है। धान की कम समय में पकने वाली फसलों की बिजवाई को ही तरहीज दी जाये।



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