राहुल गाँधी की लोकसभा सदस्यता रद्द होना कानूनी प्रक्रिया, कांग्रेस पार्टी ले सबक: गौतम अरोड़ा

कल्याण केसरी न्यूज़ अमृतसर , 25 मार्च ; भारतीय जनता युवा मोर्चा पंजाब के उपाध्यक्ष गौतम अरोड़ा ने कांग्रेसी नेता राहुल की लोकसभा सदस्यता रद्द किए जाने को लेकर जारी अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि राहुल गाँधी को सज़ा माननीय अदालत द्वारा लंबी सुनवाई के बाद राहुल गाँधी द्वारा भरी जनसभा में दिए गए ब्यान तथा बर्ताव के बाद सुनाई गई है। राहुल गांधी सोचते थे कि वे देश के संविधान और कानून से ऊपर हैं। सूरत की अदालत के फैसले के बाद लोकसभा स्पीकर ने ये निर्णय लिया है। गौतम अरोड़ा ने कहा कि राहुल गांधी के विरुद्ध मानहानि मामले में सूरत की माननीय अदालत का फैसला देश की राजनीति के गिरते भाषाई स्तर को ठीक करने के नजरिए से ऐतिहासिक है। चुनाव आयोग को आलोचना के स्तर को गिरने से रोकने के लिए तुरंत भाषा संहिता बनाना चाहिए।

गौतम अरोड़ा ने कहा कि राहुल गाँधी की सदस्यता रद्द होना पूरी कांग्रेस पार्टी के लिए सबक है। क्यूंकि कांग्रेसी नेताओं की जुबान बेलगाम घोड़े की तरह चलती है और यह लोग बिना कुछ सोचे-समझे किसी के भी विरुद्ध कुछ भी कहने या करने से गुरेज़ नहीं करते। माननीय अदालत द्वारा दिए गए फैसले का स्वागत करते हुए गौतम अरोड़ा कहा कि अदालत द्वारा दिया गया फैसला बिलकुल सही है। राहुल गाँधी को माननीय अदालत ने 2 वर्ष की सज़ा सुनाई है, लेकिन जनता उन्हें 20 वर्षों की सज़ा देगी।

गौतम अरोड़ा ने कहा कि राहुल गाँधी द्वारा दिया गया यह पहला ब्यान नहीं है, इससे पहले अभी कुछ ही दिन पहले इसी राहुल गाँधी ने विदेश के सदन तथा यूनिवर्सिटी में बोलते हुए भारत तथा प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी के खिलाफ जहर उगला था। जिस पर समूचे भारत वासियों में रोष की लहर है। कांग्रेसियों का हाल ऐसा है कि जिस थाली में खाते हैं उसमें ही छेद करते हैं। जिस देश में रहते हैं उसी के विरुद्ध बोलते हैं, उसी को बाँटने की बात करते हैं। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है 1947 में भारत-पाकिस्तान का बंटवारा किया। इतना ही नहीं कांग्रेस द्वारा सिखों की अरदास में जिन गुरुधामों के दर्शन-दीदार की मांग की जाती है, वह गुरुधाम श्री करतारपुर साहिब, जो कि भारत-पाकिस्तान सीमा से महज 4 किलोमीटर दूर था, उसे भी जानबूझ कर पाकिस्तान के हवाले कर दिया गया। इसके बाद 1962 में चीन युद्ध के बाद भारत का एक बड़ा भूभाग चीन को दे दिया। इसके बाद 1965 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध के बाद भरता का एक बड़ा भूभाग पीओके (POK) पाकिस्तान के हवाले कर दिया। इतना ही नहीं इसके बाद अपनी सत्ता के लालच में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने देश में आपातकाल लगा देश वासियों पर जम कर जुल्म किए। इतना ही नहीं 1984 में जहाँ विश्व-प्रसिद्ध सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब (गोल्डन टेम्पल) पर हमला किया, वहीं सिख नरसंहार करवाया। हजारों बेगुनाह सिखों को उनके गले में टायर डाल कर जिन्दा जला दिया गया। यह कांग्रेसी अपनी सत्ता के लिए किस भी हद तक जा सकते हैं। यह लोग अपने स्वार्थ के लिए देश को भी बेचने में पीछे नहीं हटेंगें।

ज्ञात रहे कि राहुल गांधी ने साल 2019 में एक चुनावी रैली के दौरान मोदी सरनेम को लेकर विवादित टिप्पणी की थी। जिसकी सुनवाई के बाद ‘मोदी सरनेम’ मानहानि मामले में सूरत कोर्ट ने राहुल को 2 साल की सजा सुनाई थी। हालांकि, सजा के बाद राहुल गांधी को जमानत दे दी गई थी। सूरत कोर्ट के फैसले को देखते हुए केरल की वायनाड लोसकभा सीट से सांसद राहुल गांधी को लोकसभा सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था। दरअसल 2013 में जब सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि सांसद/विधायक को 2 साल या उससे ज्यादा की सजा मिलने पर उसकी सदस्यता तत्काल प्रभाव से खत्म हो जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ मनमोहन सिंह सरकार एक अध्यादेश लाई थी, जिससे सुप्रीम कोर्ट का फैसला निष्प्रभावी हो जाए। 24 सितंबर 2013 को कांग्रेस सरकार ने अध्यादेश की खूबियां बताने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी। इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने पहुंचकर कहा था- ये अध्यादेश बकवास है और इसे फाड़कर फेंक देना चाहिए। उन्होंने अध्यादेश की कॉपी को फाड़ दिया था।

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