एन.डी.आर.एफ के सहयोग से अमृतसर बल्क वाटर स्पलाई स्कीम के तहत आयोजित की ट्रेनिंग

कल्याण केसरी न्यूज़ अमृतसर (2 जुलाई): निगम कमीश्नर हरप्रीत सिहं के दिशा-निर्देश अनुसार अमृतसर नगर निगम द्वारा
अमृतसर बल्क वाटर स्पलाई स्कीम के तहत आपदा प्रबंधन पर ट्रेनिंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एन.डी.आर.एफ) की बठिंडा स्थित सांतवी बटालियन के सहयोग से करवाए गए इस कार्यक्रम का उदेश्य अधिकारियों को कुदरती तथा मानव निर्मित आपदाओं से निपटने के लिए तैयार करना था। जिसमें की निगम अधिकारियों व कर्मचारियों के अलावा स्वास्थ्य विभाग, पुलिस, होमगार्ड, फायर ब्रिगेड, सिवल डिफेंस विभाग के अधिकारियों के साथ-साथ अमृतसर बल्क वाटर स्पलाई प्रोजेक्ट पर काम कर रही लार्सन एंड टूब्रो कंपनी के कर्मचारियों ने भाग लिया।

इस मौके पर एन.डी.आर.एफ के सहायक कमाडेंट अनिल कुमार रणवा ने बताया कि अमृतसर सिस्मिक जोन चार के अंतर्गत आता है, जहां की भूकंप आने की संभावना अधिक रहती है। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन के कारण कुदरती आपदाओं के आने की संभावना भी अधिक बढ़ गई है। इसलिए जरूरी है की प्रशासन किसी भी आपदा के लिए पहले से ही तैयार रहे। एन.डी.आर.एफ के सब इंसपैक्टर कुलदीप सिहं ने बताया की भूकंप आने पर हमेशा अपने सिर को बचाने पर अधिक जोर देना चाहिए। क्योंकि सिर पर लगने वाली चोट अधिक जानलेवा होती है। एन.डी.आर.एफ टीम द्वारा भूकंप की स्थिती में खुद को बचाने और क्षतिग्रस्त बिल्डिंग से सुरक्षित तरीके से बाहर निकलने के बारे में भी बताया गया। उन्होंने बताया की किसी भी दुर्घटना होने पर मैडिकल सहायता आने तक घायल व्यक्ति के रक्तरसाव को रेकने पर अधिक ध्यान देना चाहिए। क्योंकि दुर्घटना के वक्त अक्सर अधिक रक्त बहने के कारण होने वाली मौतों को थोड़ी सावधानी से रोका जा सकता है। एन.डी.आर.एफ टीम द्वारा मैडीकल सहायता पहुँचने से पहले रक्त बहाव रोकने के कई सारे उपाय बताए गए। टीम द्वारा घायलों को ले जाने के लिए कंबल और टी-शर्ट से स्ट्रैचर बनाना भी सिखाया गया तथा हार्ट अटैक आने पर सी.पी.आर देने, सी.पी.आर देने से पहले किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए इसकी भी जानकारी दी गई। टीम ने बताया की सी.पी.आर देते समय हमेशा ध्यान रखना चाहिए की प्रभावित व्यक्ति समतल और कठोर जगह पर लेटा हो और अगर हो सके तो फर्श पर लेटाकर सी.पी.आर देना चाहिए।

वहीं इंसपैक्टर रंजीत कुमार मिश्रा ने बताया कि किसी भी रासायनिक दुर्घटना (गैस लीक) होने पर दुर्घटना स्थल से कम से कम तीन सौ मीटर की दूरी बनाकर रखनी चाहिए और हवा की विपरीत दिशा की तरफ रहना या दौड़ना चाहिए। वहीं एन.डी.आर.एफ टीम द्वारा बाढ़ आने पर घरेलू उपरकरणों से नांव आदि बनाना भी सिखाया गया। एन.डी.आर.एफ टीम द्वारा वल्ला स्थित बनाए जा रहे वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में जाकर वहां पर कर्मचारियों को आपदा प्रबंधन के बारे में ट्रेनिंग दी गई। इस मौके पर अमृतसर बल्क वाटर स्पलाई प्रोजक्ट की सेहत सुरक्षा अधिकारी डा. मौनिका सब्बरवाल ने एन.डी.आर.एफ अधिकारियों का ट्रेनिंग देने के लिए धन्यवाद दिया। इस मौके पर एलएंडटी के प्रोजेक्ट डायरेक्ट्र संजय सिहं, रमन शर्मा, कृष्णा लोकेश, रोबिन, ईश्वदीप सिहं आदि भी उपस्थित थे।

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