जालन्धर : नशें के खिलाफ जंग का ऐलान करते हुए और जिला जालंधर में सिविल और पुलिस प्रशासन की तरफ से एक बहु मंतवी व्यापक नीति का ऐलान किया गया है जिस में मुख्य तौर पर नशे का रोकथाम और नशे से पीडित व्यक्तियों के फिर वसेबे के लिए बडे यत्न किये गए हैं। इस में मुख्य तौर पर उठाये जाने वाले नशा विरोधी कदमों और नतीजों के लिए समय सीमा भी निर्धारित की गई है।
आज इस बारे में सिविल और पुलिस के उच्च आधिकारियों की मीटिंग जिस में डिप्टी कमिशनर जालंधर श्री वरिन्दर कुमार शर्मा, पुलिस कमिशनर परवीन कुमार सिन्हा और एस.एस.पी.( ग्रामीण ) श्री.गुरप्रीत सिंह भुल्लर शामिल थे ने हर गाँव में आते वार्ड स्तर पर नशा रोकू निगरान समितियाँ जिस में इलाको के मोहतवर व्यक्तियों, से सबंधित एस.एच.ओ., नजदीक के सिविल अस्पताल से सेहत कर्मचारी, सुपरवाइजऱ और मास्टर ट्रेनर शामिल होना गठन करने का फ़ैसला किया गया।
इस अवसर पर डिप्टी कमिशनर ने बताया कि नशा विरोधी कदमों और नतीजों के लिए निर्धारित की गई समय सीमा में 7 जुलाई तक सुपरवाइजऱ अमलो की पहचान, कलस्स्टर कोआरडीनेटर और मास्टर ट्रेनरों की सूची को अंतिम रूप दिया जाना है। इस के इलावा नशा रोकू रखवाला समितियाँ 18 जुलाई तक गठित की जाएंगी। उन्होने कहा कि जिला प्रशासन की तरफ से इस बारे में पूर्ण रूप रेखा तैयार की जा चुकी है जिस को नशा रोकू रखवाला समितियाँ की तरफ से आने वाले दिनों में नशा मुक्ति के लिए अपनाया जायेगा।
मीटिंग के दौरान मैडीकल नशों की बढ़ रहे प्रयोग पर गहरी चिंता को प्रगट करते हुए डिप्टी कमिशनर ने ड्रग इंस्पेक्टरों का सुधार की कि पाबन्दीशुदा दवाओं की बिक्री के विरुद्ध मैडीकल स्टोरों की चैकिंग की जाये और इन दवाओं की उपलबद्धता को खत्म किया जाये। उन्होने कहा कि जिस क्षत्रों में पाबन्दीशुदा दवाओं की बिक्री पाई गई वहाँ के सबंधित ड्रग इंस्पेक्टर के विरुद्ध शखत कार्यवाही की जायेगी।
उन्होने कहा कि नशा रोकू रखवाला समितियों के लिए पहला लक्ष्य नशों के आदी लोगों को उन के परिवारों की सहायता से नशा छुडाओ केन्द्रों में खुद के इलाज के लिए लाना है। उन्होंने यह भी बताया कि जिले में शिक्षा और युवक सेवाएं विभाग की तरफ से नुक्कड़ नाटकों के द्वारा लोगों को जागरूक करने के लिए 19 टीमों का गठन किया जा चुका है जो कि गाँव-गाँव जा कर लोगों को नशों के बुरे प्रभावों के बारे में जानकार देगी।
इस अवसर पर पुलिस कमिशनर श्री सिन्हा ने कहा कि नशा रोकू रखवाला समितियाँ जासूस के तौर पर काम नहीं करेंगी बल्कि स्थानिक लोगों के सहयोग और जमीनी हलातों के अनुसार नशो की रोकथाम और नशा ग्रसित व्यक्तियों के फिर वसेबे के लिए काम करेंगी। उन्होने कहा कि जो लोग डैपौ प्रोग्राम के अंतर्गत रजिस्टर्ड किया जाना है उन के चरित्र के बारे में पड़ताल भी की जायेगी जिससे इस मुहिम को असरदार तरीको से लागू किया जा सके। उन्होने कहा कि एक नई पहल के अंतर्गत कालेजों में शिक्षा विभाग के सहयोग से भविष्य में नशो की मार में आसानी से आ सकें वाले विद्यार्थियों को नशा विरोधी टीमों की तरफ से जागरूक किया जायेगा। उन्होने कहा कि इस काम में विद्यार्थियों का सहयोग भी प्राप्त किया जायेगा।