अनेकता में एकता, सौहार्द तथा प्रीत प्यार का महाकुम्भ 71वाँ वार्षिक निरंकारी सन्त समागम सम्पन्न

दिल्ली : सन्त निरंकारी मिशन का 71वां वार्षिक संत समागम गन्नौर और समालखा के बीच जी.टी. रोड स्थ्ति सन्त निरंकारी आध्यात्मिक स्थल पर 24 नवम्बर, 2018 को आरम्भ हुआ और 26 नवम्बर को देर रात सम्पन्न हुआ। देशभर तथा दूर देशों से आये हुये पांच लाख से भी अधिक निरंकारी भक्तों तथा अन्य प्रभु प्रेमियों ने समागम का आनन्द लिया और तीनों दिन एक सुन्दर वातावरण बना रहा।इस समागम कीमुख्य विशेषता यह रही कि यह पहला वार्षिक सन्त समागम था जो मिशन की अपनी भूमि पर आयोजित किया गया इससे पूर्व 70 वर्ष तक यह समागम दिल्ली के अलग अलग मैदानों में होता रहा। भक्तों की संख्या बढ़ती रही और स्थान बदलते रहे। पिछले 28 वर्ष से यह समागम बुराड़ी रोड स्थित सन्त निरंकारी सरोवर परिसर के सामने वाली ग्राउंड में आयोजित किया जाता रहाजहाँ मिशन को अधिक से अधिक 400 एकड़ भूमि मिली। समालखा में इस समागम के लिए 600 एकड़ से भी अधिक भूमि उपलब्ध थी।

यह सन्त समागम मिशन के पूर्व प्रमुख सद्गुरु माता सविंदर हरदेव जी महाराज के प्रति समर्पित कियागया जिन्होंने गत् 5 अगस्त, 2018 को अपने नश्वर शरीर का त्याग किया। समागम का मुख्य विषय ’’माँ सविंदर – एक रोशन सफर’’ रखा गया। इस तरह माता सविंदर जी द्वारा दी गई शिक्षाओं पर बल दिया गया कि ब्रह्मज्ञान को अपने दैनिक जीवन में अपनायें ताकि प्रेम, करुणा, शान्ति, सहनशीलता एवं एकता जैसे मानवीय गुण हमारे जीवन से परिलक्षित हों।समागम का शुभारम्भ शनिवार 24 नवम्बर को उस समय हुआ जब लगभग 1.00 बजे सद्गुरु माता सुदीक्षा जी का समागम स्थल पर आगमन हुआ।उनका स्वागत समस्त साध संगत की ओर से फूलों के गुलदस्ते भेंट करते हुए सन्त निरंकारी मण्डल के अध्यक्ष श्री गोबिन्द सिंह जी तथा केन्द्रीय योजना तथा सलाहकार बोर्ड के चेयरमेन श्री खेमराज चड्ढा जी नेकिया। तत्पश्चात् समागम कमेटी के सदस्यों तथा देशतथा दूर देशों से आये हुए प्रचारक एवं प्रबंधक महापुरूषों ने उनकी एक खुले वाहन में शोभा यात्रा के रूप में मुख्य मंच तक अगवाई की।

मंच पर आसीन होते ही सद्गुरु माता जी ने ‘मानवता के नाम संदेश’ देकर पहले दिन के सत्संग कार्यक्रम का शुभारंभ किया। सत्संग कार्यक्रम के अंत में सद्गुरु माता सुदीक्षा जी ने कहा कि सत्संग कोई रस्म नहीं बल्कि ये एक ज्ञानी सन्तजनों का अद्वितीय मिलन है। जब वे अपने निजी आध्यात्मिक अनुभव से बोलते हैं तो उनके हर शब्द से हमें प्रेरणा प्राप्त होती है। इसलिए हमें उन्हें बड़े ध्यान से सुनना चाहिए।सद्गुरु माता जी ने कहा कि हम जब भी सत्संग में शामिल होते हैं तो हमें पूरी मर्यादा और अनुशासन का पालन करना चाहिए।समागम के आरंभिक सत्र में हरियाणा के मुख्य मंत्री माननीय  मनोहर लाल पधारे। उनके साथ परिवहन मंत्री माननीय श्री कृष्ष्ण लाल पंवार जी एवं अन्य गणमान्य अतिथि भी थे। संत निरंकारी मण्डल के प्रधान  गोबिन्द सिंह  ने माननीय मुख्य मंत्री महोदय का शाॅल पहनाकर हार्दिक स्वागत किया।इस अवसर पर अपने भाव व्यक्त करते हुए माननीय मुख्य मंत्री जी ने हरियाणा की पावन भूमि में मिशन का इस अंतर्राष्ट्रीय संत समागम आयोजित करने पर सद्गुरु माता जी का आभार प्रकट किया।

दूसरे दिन सेवादल रैली एक मुख्य आकर्षण था जिसमें देश भर से आये हुए सेवादल के हजारों बहन भाईयों ने भाग लिया। दूर देशों से आये सेवादल ने भी रैली में भाग लिया। कुछ शारीरिक व्यायाम के बाद उन्होंने मिशन के संदेश पर आधारित कुछ शारीरिक करतब प्रस्तुत किए और सेवा को ईश्वर और सद्गुरु के प्रति भक्तिभाव प्रकट करने के प्रभावी साधन के रूप में दर्शाया।सेवादल रैली को अपने आशीर्वाद प्रदान करते हुए सद्गुरु माता सुदीक्षा जी ने कहा कि सेवादल मिशन की आन, बान और शान है। आपने कहा कि निरंकारी राजमाता जी, बाबा हरदेव सिंह जी और हजारों भक्तों ने मिशन की सेवा करने के लिए सेवादल की वर्दी पहनी। अतः सेवादल सदस्यों ने पहनी हुई वर्दी का पूरा सम्मान करना है। सेवादल द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रमों की सराहना करते हुए मर्यादा एवं अनुशासन का पालन करने वाले सेवादल को सद्गुरु माता जी ने आशीर्वाद प्रदान किया। उन्होंने कहा कि श्रद्धा, समर्पण और विश्वास रखने वाले इन भक्तों के हाथ मिशन का भविष्य उज्ज्वल है।

दूसरे दिन के सत्संग कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने कहा कि संत हमेशा जीवन के हर क्षेत्र में कृतज्ञता का भाव धारण करते हैं। मानवीय मूल्यों के महत्व पर बल देकर सद्गुरु माता जी ने कहा कि इनका प्रयोग एकत्व के पुल बनाने में हो न कि मानव को मानव से दूर करने के लिए दीवारें बनाने में, और यह ब्रह्मज्ञान प्राप्त करने से ही सम्भव है।  समागम के अन्तिम दिन सद्गुरु माता जी ने कहा कि ज्ञान की रोशनी से नफरत प्यार में बदल जाती है और यह तभी संभव होता है जब हमें एक निरंकार प्रभु परमात्मा की जानकारी हासिल हो जाती है। निरंकारी मिशन का यही सन्देश है कि आपस में जाति-पाति का कोई भी भेद-भाव नहीं होना चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि सभी सन्तों ने आने वाले साल में भी तन-मन-धन की सेवा करनी है, सत्संग व सिमरण जीवन में उतारना है। सत्संग में आने का कोई हिसाब नहीं होता और यह कोई रीति-रिवाज नहीं है। प्रेम में कोई हिसाब ही नहीं होता।उन्होंने कहा कि समालखा के इस आध्यात्मिक स्थल को बाबा जी की बनाई गई योजना के अनुसार और इसके साथ ही दिल्ली में बनने वाले हैल्थ सिटी के कार्य को आरम्भ किया जायेगा और इस कार्य को साध संगत ने साथ मिलकर पूरा करना है। सत्संग के दौरान भक्तों ने गीत, व्याख्यान एवं कविताओं द्वारा अपने भाव पंजाबी, हिंदी, तेलुगु, मल्यालम, मराठी, अंग्रेजी, मुलतानी, छत्तीसगढ़ी, संस्कृत, सिंधी, पहाड़ी, बंजारा, राजस्थानी, भोजपुरी, बंगाली आदि भाषाओं का सहारा लेते हुए व्यक्त किए।

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