
नई दिल्ली : सत्संग एक वह साधन है जिसमें इंसान के सारे सवालों के जबाव मिलते है, मन के हर तरह के बहम दूर होते है तथा अज्ञानता भरी जिंदगी में रोशनी हो जाती है। पूर्ण सतगुरु से सच्चई की जानकारी हासिल करके एक साधारन इंसान में भाइचारा, एकता मिलवर्तन की भावना जागृत होती है वह हर तरफ सतगुरु से मिली नजर में हरेक में एक निरंकार प्रभु को देखता है। उसमें से वैर, विरोध, ईष्र्या, नफरत जैसी भावनाएं खत्म हो जाती है वह पूरे विश्व से भक्ति मार्ग पर चलता है तथा हर एक का भला ही सोचता है, यह प्रवचन निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने विश्व कल्याण यात्र के बने टूर कार्यक्रमों के बाद लौट कर दिल्ली में ग्राऊंड नंबर 08 में हुए एक विशाल समागम के दौरान संगतो को संबोधन किया। उन्होंने आगे कहा आज हर एक भगत द्वारा सत्संग को महत्ता दी जा रही है। गुरबचनों को प्राथमिकता दी जा रही है जहां हर एक तरह की मर्यादा का ध्यान बाखूबी रखना जा रहा है। वहीं समय की कदर करने में ही अपना बनता योगदान दिया जा रहा है जो कि बहुत बढ़िया बात है क्योंकि जो इंसान समय रहते ही सभी काम निपटा लेता है वहीं चतुर व समझदार माना जाता है क्योंकि इन स्वासों का कुछ भी पता नहीं किस समय यह माला टूट जाए।

उन्होंने कहा कि इंसानी जीवन ही है जिसमें एक निरंकार प्रभु की जानकारी संभव है, इंसान द्वारा सच्चई का ज्ञान प्राप्त करने के बाद उसकी जहां दिशा बदल जाती है वहीं दशा भी बदल जाती है क्योंकि जब नजर बदलती है वह समय नजारे की बदल जाते है क्योंकि ज्ञान प्राप्ति के बाद में जहां इंसान पहले केवल अपने बारे ही सोचता है केवल अपने तक ही सीमित होता है पर सच्चई की प्राप्ति के बाद उसका चरित्र व आचरण भी बदल जाता है। वह अपने आप को गुरबचनों मुताबिक जीवत है हर पल में एक शुक्राने की भावना उसके दिल अंदर बास करती है, अंत में उन्होंने कहा कि हमारी व्यवहारिक जिंदगी ऐसी होनी चाहिए कि हर कोई आपकी तरफ खिचा हुआ चला आए बोली में मिठास ऐसी होनी चाहिए है कि हर कोई आपको सुने। इस मौके दिल्ली समूह संगत द्वारा पूरी श्रद्धा से उनका स्वागत किया गया हर एक चेहरा अपने सतगुरु के दर्शन करके निहाल हो रहा है।
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