नशे और हवस की भूख के साथ किस तरफ को जा रही हमारी नौजवान पीढ़ी

कल्याण केसरी न्यूज़,24 अक्टूबर : छोटी छोटी बच्चियों के साथ बलात्कार और जान से मारना गिरी हुई सोच और संस्कारों में गिरावट
-माँ बाप की बेपरवाही, छुट और पैसों की गर्मी दिखा रही अपना गंदा रंग
इंसान जीवन के तीन रंग बचपन, जवानी और बुढापे को अपने जीवन में भोगता है। बचपन में बच्चा माता की निगरानी में बिना किसी बुरी संगत एक अच्छी सोच के पहरे नीचे बिताता है लेकिन मनुष्य के जीवन का सब से महत्वपूर्ण और अहम रंग जवानी है जो मनुष्य पर आती है और मनुष्य की जिंदगी या तो सुधर जाती है या फिर पूर्ण बिगड़ जाती है। आजकल नौजवान पीढ़ी की जवानी की हालत जो देखने को मिल रही है, उसने समाज के हर व्यक्ति को सोचने के लिए मजबूर कर दिया है कि हमारी नौजवान पीढ़ी किस तरफ को जा रही है। नशा और हवस की भूख नौजवान पीढ़ी में इतनी ज्यादा बढ़ती हुई दिखाई दे रही है कि आने वाले समय के बारे सोच कर रूह भी काँप जाती है। जिसका सबूत आए दिन छोटी छोटी बच्चियों के साथ बलात्कार जैसी घिनौनी घटना को अंजाम दे कर बच्चियाँ को जीवित जलाने और मारने की घटनाएँ आम देखने और सुनने को मिलती हैं, मनुष्य एक बार तो सोचकर परेशान हो जाता है कि एक तरफ तो छोटी-छोटी बच्चियों को देवियों के नाम के साथ जाना जाता है और पूजा करवाई भी जाता है, दूसरे तरफ इस जैसी घटनाएँ समाज के में एक अलग ही रूप देती हुई नजर आतीं हैं। यहाँ यह सोचने वाली बात है कि क्या हालत क्यों और कैसे खराब हुए हैं या हालातों ने अपनी रंगत कहीं पहले ही दिखानी शुरू तो नहीं कर दी है। हर साल 30 हजार से अधिक बलात्कार हो रहे हैं, यहां तक कि कुछ देर पहले जम्मू के एक मंदिर के में एक बच्ची के साथ ऐसी घिनौनी घटना घटी थी, परंतु उस समय पर से इस समय के हालातों ने समाज को बड़े बुरे तरीकों साथ अपनी चपेट के में लिया हुआ है, जो कि अच्छा संकेत नहीं कहा जा सकता।
कहाँ जा रहा हमारा समाज
बीते दिन होशियारपुर जिला के शहर टांडा के नजदीक गाँव जलालपुर में एक घटना घटी जिसके साथ यह बात दिमाग में आती है कि हमारा समाज किधर को जा रहा है। कहाँ लोग छोटे -छोटे बच्चों में भगवान का रूप देखते थे लेकिन यह घटनाएँ कहीं न कहीं विचारों के भेदभावों में मतभेद पैदा कर जाते हैं, जिसके साथ आने वाले समय में समाज को बचाना मुश्किल होता दिखाई दे रहा है। 6 वर्षीय बच्ची की शव एक हवेली में से मिली जिस को देख कर यह सोच कर दिल काँप उठा कि यदि छोटे बच्चे को थोड़ा सा सेक भी लग जाये तो माँ बाप को चिंता हो जाती है, जिसकी फूल भर बच्ची आग के साथ जल कर मरी हो उस माँ पिता का क्या हाल हुआ होगा और हादसों का शिकार हुई लड़की कितनी तड़पी होगी। इस घटना ने कितने रिश्ते शर्मसार कर दिया दादा पोता मिल कर इस संगीन जुर्म में शामिल थे। इसके साथ ही समाज के प्रति अच्छी सोच रखने वाले मनुष्य का दिल तो रो पड़ा होगा। इस जैसी घटनाएँ कई सवाल ले जाए करती हैं।
आजकल की फिल्में, सोशल मीडिया, माँ बाप की तरफ से दी छुट भी बड़े स्तर पर जिम्मेदार है
छोटी छोटी बच्चियों के साथ बलात्कार और उनको मौत के घाट उतारने की घटनाओं में विस्तार होने पीछे जिम्मेदार माना जा सकता है। आजकल की फिल्में और सोशल मीडिया पर जो दिखाया जाता है उसको देखकर ही व्यक्ति के मन में कामुकता हावी होती है, जिसके बाद ऐसी घटिया और बेहद दुखदायक घटनाएँ को अंजाम दिया जाता है हालांकि सरकार की तरफ से पोर्न साइटों पर लंगाम लगाई हुई है लेकिन फिर भी अब तक काबू पाया नहीं जा सका। माँ बाप की तरफ से बच्चों को दी जा रही छुट और पैसों की गर्मी व नशा भी इतना घटनाएँ पर काबू करने में कहीं न कहीं रुकावट बनतीं नजर आती है। हमारा बच्चा क्या कर रहा है, कहाँ है, इसके बारे बच्चों के माँ बाप को पता होता है, कई बार उन को अनदेखा करना और छुट देना भी बच्चों के कदम गलत रास्ते की ओर मोड़ देते हैं और फिर जब नौजवान बच्चा कोई गलती कर बैठता है, फिर बहुत देर हो जाती है।
बलात्कार की इन घटनाओं में नाबालिगों का नाम आना बहुत हैरानीजनक है जहाँ उनके परिवार के बुजुर्ग भी साथ देते हैं। इस से पता चलता है कि सोच में किस कद्र गिरावट आनी शुरू हो गई है कि नबालिग किस रास्ते पर चल पड़े हैं। इसके बाद कहीं न कहीं दूसरे के जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है। इसके लिए हमें सभी को मिलकर कोशिशें शुरू करनीं होंगी क्योंकि यदि समय पर इस पर विचार नहीं किया गया तो फिर आने वाले समय में इसके खतरनाक नतीजे हो सकता है हैं और होने शुरू भी हो गए हैं।
पैसों की गर्मी भी करवाती है बुरे काम
इस घटनाओं को अंजाम देने वालों में ज्यादातर बड़े घरों के शहजादे के नाम भी सामने आते हैं। जिन को उन के परिवारों की तरफ से आजादी मिल जाती है, समर्थन मिलता है जो कुछ मर्जी करो हम आपके साथ हैं।  यदि यह बात भी कह दी जाए कि पैसों की गर्मी भी बुरे काम करवा देती है, जिसके बारे में कई बार तब जाकर पता चलता है जब बहुत देर हो चुकी होती है।
आजादी और प्राइवेसी के नाम पर संस्कारों को भुलना अच्छा नहीं
आज कल नौजवान पीढ़ी आजादी मांगती है, प्राईवेसी मांगती है लेकिन इसके साथ साथ संस्कारों का भी जीवन में रहना बहुत जरूरी है। आजादी और प्राईवेसी के नाम पर संस्कारों को नौजवान पीढ़ी की तरफ से भुलना अच्छा नहीं है। जो कि इसको गलत रास्ते पर ले कर जा रहा है। अच्छे संस्कार भी किसी को गलत रास्ते पर ले कर नहीं जा सकते है और ना ही किसी को जाने देता है।
बच्चे क्या करते हैं क्या सोचते हैं माता पिता को इस का पता रखना चाहिए ध्यान देना चाहिए। छोटी छोटी बच्चियों के साथ बलातकार की घटनाओं में जो भी दोषी है उसके पीछे कई कारण सामने भी आते है। इस में सब से बड़ा कारण माता पिता का बच्चों की हरकतों पर ध्यान न देना सामने आता है। उन का बच्चा क्या कर रहा है, क्या सोच रहा है इसके की तरफ माता पिता का ध्यान नहीं होता जिसके चलते बच्चे गलत रास्तो पर चले जाते है और पता तब लगता है जब पुलिस पकड़ कर ले जाती है।
कहीं देर न हो जाये सरकार, प्रशासन और लोगों को जागना होगा
इन घटनाओं पर केवल और केवल चिंता करके इस घटनाओं का रोकना बहुत मुश्किल है इस लिए सरकार और प्रशासन को जागना होगा और साथ के साथ में लोगों को भी जागृत होना होगा। जिस तरह भी कोई इस घटनाएँ को रोकने के लिए योगदान दे सकता है देना होगा नहीं तो कहीं देर नहीं हो जाये।

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