कल्याण केसरी न्यूज़ ,5 नवंबर : दीवाली का त्यौहार बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। लोग अपने घरों, दुकानों, कार्यलयों आदि की सफ़ाई बड़े उत्साहपूर्वक करते हैं। कई घरों में रंग किया जाता है ताकि दीवाली पर घर सुंदर और साफ़ दिखाई दे। इसके पीछे एक आम ही बात सुनने को भी मिलती है कि जहाँ साफ़ सफ़ाई होती है, वहां बरकत होती है, खुशियाँ आतीं हैं और माहौल शांतमयी बनता है। दूसरी तरफ़ हम मन की बात करें तो आज का मनुष्य वैर, विरोध, ईष्र्या, नफऱत, बुरी सोचें सहित कई इस जैसी भावनाएं मनों में रख कर बैठा है, जिस के साथ लोगों के घरों साथ-साथ समाज में गन्दगी फैल रही है, जिसके दृश्य हमें आजकल आम ही देखने को मिलते ही रहते हैं। इन बुराइयों का जिक्र गुरूयों पीरों ने अपनी शिक्षाओं में भी किया है। गुरुओं पीरों ने तो यहाँ तक कह दिया है जिसके मन में यह बुराईयां होंगी वहां कभी खुशियाँ और अध्यात्मिक सुख कभी भी नहीं आ सकते। इसके लिए मन में से इन समाजिक बुराइयों को निकालना बहुत ज़रूरी है। छोटे-छोटे बच्चों के साथ बलात्कार हो रहे हैं, सरेआम कत्ल हो रहे हैं, चोरियां की जा रही हैं और लूटपाट की घटनाएं तो आम ही बात हो गई है।
नशा तस्करों ने नशे को समाज में बढ़ा कर लोगों के घरों के रोशन चिराग बुझा कर रख दिए हैं। आए दिन नौजवानों की मौतें दिलों में एक ऐसा दर्द पैदा करती हैं कि कोई भी त्यौहार चाहे वह जितना ही बड़ा त्यौहार ही क्यों न हो उसको मनाने को मन नहीं मानता। इस लिए सरकारों, प्रशासन, लोग तथा अन्य जो कि सामाजिक बुराइयों को बढ़ाने में योगदान दे रहे हैं को अपने मन में से बुराइयों को साफ़ करने का प्रण करना चाहिए क्योंकि जिस तरह से इस समय समाज की दिशा दिशाहीन होते हुए सामाजिक बुराइयों की गन्दगी फैल रही है उस के लिए सभी को मिल कर इक_े हो कर इन बुराइयों के खि़लाफ़ झंडा उठाना होगा, जो कि समय की ज़रूरत भी है। दीवाली समेत ओर जितने भी त्यौहार हैं तो ही मनाए जा सकेंगे यदि माहौल शांतमयी होगा, पड़ोसी के घरों में आग लगी हो और हम त्यौहारों की खुशियाँ मनाए, यह बात कोई अच्छी नहीं लगती। आओ सभी मिलकर सामाजिक बुराइयों को समाज में ख़त्म करने के लिए यत्नशील हों जिससे दीवाली की रोशनी हर घर में हो सके।