कल्याण केसरी न्यूज़ अमृतसर,23 नवंबर : कृषि और किसान कल्याण विभाग ने धान के अवशेषों के पराली को आग लगाकर नष्ट करने के लिए गांव डोलांगल में पूसा डीकंपोजर का परीक्षण किया। यह परीक्षण किसानों की उपस्थिति में किसान जसपाल सिंह के खेतों में छिड़काव करके दिखाया गया था। आज जब पराली के कारण प्रदूषण एक बड़ी समस्या है। तो पूसा संस्थान द्वारा विकसित पूसा डीकंपोजर किसानों के लिए बड़ी उम्मीद की किरण लेकर आया है।
कृषि विभाग विभिन्न गाँवों में इसका परीक्षण कर किसानों को प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है ताकि किसान इस तकनीक का बड़े पैमाने पर उपयोग कर पराली की खेती शुरू कर सकें। पराली को आग पकड़ने से रोकने के लिए, पराली को चबाया जा सकता है और खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। मौके पर कृषि विकास अधिकारी सतविंदर बीर सिंह ने कहा कि किसानों द्वारा फसल के अवशेष जलाने से न केवल प्रदूषण पैदा होता है।
किसान मिट्टी की ऊपरी परत को भी जला देते हैं यह सबसे आवश्यक तत्वों को भी नष्ट कर देता है। पूसा डीकम्पोजर के उपयोग से धान के पराली और जड़ों को प्राकृतिक रूप से पिघलाकर मिट्टी की उर्वरता बढ़ जाती है। इस तकनीक के इस्तेमाल से कई टन कचरे को बर्बाद होने से बचाया जा सकेगा इस अवसर पर किसानों ने पूसा डीकंपोजर और मल्चिंग तकनीक से बुवाई के बिना गेहूं की फसल में काफी रुचि दिखाई। कृषि विभाग की ओर से, एडीओ कंवलजीत सिंह ने आने वाले किसानों को इस तकनीक में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया और किसानों की खेती की समस्याओं के समाधान का सुझाव दिया। अध्यक्ष बाजार समिति राय गुरदयाल सिंह ढिल्लों ने कृषि विभाग के प्रयासों की सराहना की इस अवसर पर सरपंच नरिंदर सिंह ढिल्लों, सरपंच सरबजीत सिंह संधू बाबा बकाला, मास्टर जसपाल सिंह, कृषि विभाग से तरसेम सिंह एएसआई, हरजीत सिंह स्टेटिस्टिक असिस्टेंट, तनवीर सिंह, मनजिंदर सिंह एटीएम, मनबीर सिंह आदि उपस्थित थे।