पराळी प्रबंधन में ज़िला जालंधर के प्रगतिशील किसान बने रास्ता दसेर

कल्याण केसरी न्यूज़ जलंधर, 20 सतम्बर: ज़िलो के प्रगतिशील किसान पराळी के सभ्यक प्रबंधन के मामलो में दूसरे किसानों के लिए रास्ता दस सेर का तोल बनने लगे हैं। यह किसान पराळी के सभ्यक प्रबंधन के लिए हाई टेक मशीनों का प्रयोग कर कर जहाँ आलू का कई गुणा बढ़ झाड़ प्राप्त कर रहे हैं वहां वातावरण को प्रदूषण मुक्त रखने में भी योगदान डाल रहे हैं।

गाँव लल्लियें खुर्द के सरपंच किसान जगजीत सिंह की तरफ से पिछले 4सालों से खेतों में पराळी को आग नहीं लगाई गई बल्कि पराळी का खेतों में ही सभ्य प्रबंधन कर कर करीब 200 एकड़ क्षेत्रफल में आलू की बिजवाई की जाती है। उस ने बताया कि इस तरह करन के साथ मिट्टी की सेहत में बेहद सुधार हुआ है और खादों का प्रयोग कम हो गई है। उन्होंने ने बताया कि आलू के झाड़ में भी कई गुणा विस्तार हुआ है और यह सब पराळी को खेत में ही खपा देने करके संभव हुआ है।

किसान जगजीत सिंह, जिसको 15 अगस्त 2019 को पराळी के सभ्यक प्रबंधन के लिए ज़िला प्रशासन की तरफ से सम्मानित भी किया चुका है,उन्होंने ने कहा कि उस ने अपने गाँव नूं पराळी के धुएँ से मुक्त रखने का प्रण लिया है, जिस के अंतर्गत उस की तरफ से अपने गाँव के दूसरे किसानों को पराळी के सभ्यक प्रबंधन के लिए अपनी, इन -सीटू मशीनों की पेशकश करने के इलावा पराळी को आग न लाने के लिए प्रेरित भी किया जाता है। गाँव लल्लियें के ही एक ओर किसान अमनदीप सिंह की तरफ से भी पिछले 4सालों से अपने खेतों में ही पराळी का सभ्य प्रबंधन किया जा रहा है। इस प्रगतिशील किसान ने अपने गाँव में किसानों का एक समूह भी बनाया हुआ है, जिस की तरफ से दूसरे किसानों को पराळी को आग न लाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।उन्होंने ने बताया कि वह करीब 150 एकड़ क्षेत्रफल में इन -सीटू मशीनों के साथ पराळी का प्रबंधन कर कर आलू की बिजवाई कर रहा है और इस के साथ जहाँ खेती खर्चों में कमी आई है वहां आलू की गुणवत्ता और उत्पादन में भी विस्तार हुआ है।

इसी तरह गाँव कादियों वाली के किसान हरमोहेन्दर सिंह ने बताया कि उस की तरफ से पिछले तीन सालों से अपनी 250 एकड़ ज़मीन में पराळी का सभ्य प्रबंधन करके आलू की बिजवाई की जा रही है, जिस सदका उसे चोखा लाभ प्राप्त हुआ है।
डिप्टी कमिशनर, जालंधर घनश्याम थोरी ने कहा कि दूसरे किसानों को भी इन किसानों से प्रेरणा लेनी चाहिए और पराळी का प्रयोग मिट्टी की उपजाऊ सकती में विस्तार करन के लिए करनी चाहिए।उन्होंने बताया कि फ़सली अवशेष -खूहन्द की प्रबंधन स्कीम के अंतर्गत सूबा सरकार की तरफ से धान की पराळी का खेतों में ही निपटारा करन के लिए ऐस.ऐम.ऐस., सुपर सिडर, हैपी सिडर, पैडी स्टराय चौपर /शरैडर /मलचर, हाइड्रोलिक रिवरसीबल मौडल बोर्ड पलौय किसानों की सुविधा के लिए सब्सिडी पर मुहैया करवाए जा रहे हैं।

डिप्टी कमिशनर ने किसानों को सरकार की इस स्कीम का लाभ लेने की अपील करते कहा कि धान की पराळी को साड़न की बजाय इस का खेतों में ही सभ्य प्रबंधन किया जाये जिससे वातावरण को प्रदूषित होने से बचाया जा सके।

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