खेतीबाड़ी विभाग की तरफ से ज़िला स्तरीय किसान जागरूकता कैंप का किया आयोजन

कल्याण केसरी न्यूज़ अंमृतसर, 8अक्तूबर: कृषि और किसान भलाई विभाग की तरफ से डायरैक्टर कृषि डा: सुखदेव सिंह सिद्धू के दिशा निरदेशा और ज़िलाधीश अमृतसर गुरप्रीत सिंह की योग्य नेतृत्व नीचे पराळी को आग न लगाने के लिए किसानों को जागरूक करने हित ज़िला स्तरीय कैंप खेल स्टेडियम, मानावाला कलाँ में लगाया गया।

ज़िलाधीश अमृतसर ने किसानों को पुरज़ोर अपील करते कहा कि धान /बासमती की पराळी को आग बिल्कुल न लगाई जाये। धान की पराळी में बड़ी मात्रा में ज़रूरी ख़ुराकी तत्व मौजूद होते हैं। उन्होंने कहा कि पराळी साड़न के साथ जहाँ यह ज़रूरी तत्व नष्ट हो जाते हैं वहाँ वातावरण भी प्रदूषित होता है।

एक हेक्टेयर क्षेत्रफल की पराळी साड़न के साथ 30 किलो नाईट्रोजन, 13.8 किलो फ़ासफ़ोरस, 30 किलो पोटाश, 6.48 किलो सल्फर और 2400 किलो कार्बन जल कर नष्ट हो जाती है और धान की पराळी को आग लाने साथ कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोआकसाईड, मीथेन, नाइट्रिक आक्साइड जैसी ख़तरनाक गैसों पैदा होती हैं जो कोई कि वातावरण प्रदूषित करन साथ-साथ मनुष्य और पशूओं की सेहत पर बहुत ही बुरा प्रभाव पातीं हैं।सो धरती, मानवता और वातावरण की महत्ता को समझते हुए किसी भी हालत में पराळी को आग न लगाई जाये और दूसरे किसानों को इस कुरीति को थमने के लिए प्रेरित किया जाये।

उन्होंने किसानों को खेती खर्च किए घटाने के लिए भी अपील की।मुख्य कृषि अफ़सर डा: कुलजीत सिंह सैनी ने बताया कि विभाग की तरफ से पिछले सालों दौरान पराळी प्रबंधन के लिए 2336 मशीनों निजी किसानों, किसान ग्रुपों और सहकारी सभायें को सब्सिडी और मुहैया करवाई गई हैं, और इसके इलावें किसानों के पास पहले से मौजूद हजारों खेती यंत्र भी पराळी की संभाल के लिए इस्तेमाल करे जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस गीलापन दौरान भी खेती यंत्र किसानों /किसान ग्रुपों /सहकारी सभायें को सब्सिडी और दिए जा रहे हैं। किसान यह खेती मशीनरी आनलाइन आई -खेत मोबाइल एप्प के द्वारा बुक्क करके भी किराये पर इस्तेमाल कर सकते हैं।

डिप्टी डायरैक्टर कृषि विज्ञान केंद्र अमृतसर डा: बिकरमजीत सिंह ने भी किसानों को कृषि यूनिवर्सिटी की तरफ से सिफारिश किये जाते यंत्र सुपर सिडर, हैपीसीडर इस्तेमाल कर कर गेहूँ की सीधी बिजवाई करने की सलाह दी जिससे हवा प्रदूषण को कम किया जा सके।

इस मौके पर की.वे.के, खेती विभाग और प्रगतिशील किसानों की तरफ से भी अपने विचार पेश किये गए और समूह किसानों को फसलों की अवशेष -खूहन्द को आग न लगाने के लिए कहा गया। कैंप दौरान पराळी को आग न लगाने वाले किसानों सुरिन्दर सिंह मानांवाला, बलराज सिंह महसमपुर, हरवंत सिंह कोहाला, सुखदेव सिंह चमारिन, देशपाल सिंह, लखविन्दर सिंह जहाँगीर अथे और को डिप्टी कमिशनर अमृतसर और कृषि विभाग की तरफ से सम्मानित किया गया।
इस मौके पर स्र्री जतिन्दर सिंह गिल, सतबीर सिंह, अवतार सिंह बुट्टर (डिप्टी डायरैक्टर कृषि), मसतिन्दर सिंह, तजिन्दर सिंह, कुलवंत सिंह, जोगराजबीर सिंघ गिल, हरशरनजीत सिंह, प्रितपाल सिंह, मनिन्दर सिंह (खेतीबाड़ी अफ़सर), हरमनदीप सिंघ, सतविन्दर सिंघ संधू, परजीत सिंह औलख, लवप्रीत सिंघ, सुखचैन सिंह गंडीविंड, एडीउ, रणजीत सिंह, हरकीरत सिंह, प्रभजोत सिंह ए.ईउ, और बड़ी संख्या में किसान उपस्थित थे।

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