खैबर पख्तूनख्वा में 2 सिखों की हत्या की निंदा की, “क्रूर और कायरतापूर्ण” करार दिया

कल्याण केसरी न्यूज़ अमृतसर, 15 मई : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता प्रो. सरचंद सिंह खियाला ने पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के सरबंद के बाटा बाजार में मसाला बेचने वाले दो सिख दुकानदार कुलजीत सिंह और रंजीत सिंह की दिनदहाड़े हथियारबंद लोगों ने गोली मारकर हत्या करने को उन्होंने “क्रूर और कायरतापूर्ण” करार दिया और हत्याओं की कड़ी निंदा की। भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जय शंकर को लिखे पत्र में प्रो. सरचंद सिंह खियाला ने कहा कि पाकिस्तान में रह रहे हिंदू और सिख इन हत्याओं से डरे हुए हैं।

इस संबंध में आपको पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ और खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री महमूद खान से संपर्क करना चाहिए ताकि वहां रहने वाले हिंदू सिखों की जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। प्रो. खियाला ने कहा कि पाकिस्तान में अपनी प्रगति और आर्थिक समृद्धि के लिए हर संभव प्रयास के बावजूद, हर क्षेत्र में दमनकारी व्यवस्था के कारण हिंदू-सिख समुदाय कभी भी सहज स्थिति में नहीं रहा है। निर्दोष हिंदू सिखों की हत्या और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए बोलने वाले सिख नेताओं की लक्ष्य हत्या पाकिस्तान में आम बात हो गई है। चरमपंथीयो को आमतौर पर गिरफ्तार भी नहीं किया जाता है।

उन्होंने केंद्रीय विदेश मंत्री से कहा कि हालांकि इस्लाम एक निर्दोष व्यक्ति की हत्या को पूरे ब्रह्मांड की हत्या के रूप में मान्यता देता है, लेकिन पाकिस्तान के कट्टरपंथियों के लिए हिंदू और सिख काफिर हैं और काफिरों का उत्पीड़न उनके लिए एक ‘स्वाब’ है। यह भी बताया गया कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक बेटियों के अपहरण और जबरन धर्म परिवर्तन और विवाह जैसी घटनाओं में वृद्धि हुई है, जो हिंदू सिखों के लिए चिंता का विषय है। इसकी जड़ में पाकिस्तान की दोषपूर्ण इस्लामी कट्टरपंथी शिक्षा प्रणाली है, जिसे विशेष रूप से मदरसों के माध्यम से प्रचारित किया जा रहा है। केंद्र बिंदु सदियों पुराना हिंदू-मुस्लिम संघर्ष है। बार-बार बाबर, महमूद गजनवी, मोहम्मद गौरी आदि को नायक और हिंदू-सिख शासकों को खलनायक कहकर लोगों के मन को प्रभावित करके पाकिस्तान की तथाकथित राष्ट्रीय पहचान बनाई जा रही है। इस प्रवृत्ति के खिलाफ कोई कार्रवाई करने के बजाय पाकिस्तानी सरकार ने इसे  समाज में जड़ें जमाने का मौका दिया। नतीजा आज पाकिस्तान में डर का माहौल है और कोई भी अपने आप को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा है। निर्दोष अल्पसंख्यकों के खिलाफ धार्मिक घृणा ने बर्बरता और हत्याओं की बाढ़ ला दी है। हाल ही में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की लक्षित हत्याओं के कई मामले सामने आए हैं। हसन अब्दाल के 45 वर्षीय सिख डॉक्टर सतनाम सिंह की पेशावर में उनके क्लिनिक में मरीजों का इलाज करने के दौरान अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इससे पहले चरमपंथियों ने दर्जनों सिखों की बेरहमी से हत्या कर दी थी। 2018 में, चरणजीत सिंह, 2020 में, एक समाचार चैनल के एंकर रविंदर सिंह और 2016 में, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ की नेशनल असेंबली के सदस्य सोरेन सिंह की पेशावर में तालिबान द्वारा हत्या कर दी गई थी। इसी तरह, 2009 में 11 सिख परिवारों के घर तबाह कर दिए गए और जजिया का भुगतान न करने पर सिख युवक जसपाल सिंह का सिर कलम कर दिया गया। 2010 में अपनी शादी के लिए खरीदारी करने आए सिख युवक रविंदर सिंह की पेशावर में हत्या कर दी गई थी। इससे पाकिस्तान में रहने वाले मुट्ठी भर हिंदू सिखों में दहशत फैल गई। पाकिस्तान अब अपने व्यापक मानवाधिकारों के हनन और धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ व्यापक भेदभाव के लिए जाना जाता है। संयुक्त राष्ट्र के एक पैनल ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की धार्मिक स्वतंत्रता खतरे में है। तो पाकिस्तान में  खून के आंसू रो रहे हिंदू सिख समुदाय का अस्तित्व अब पूरी तरह से खतरे में है। उन्होंने सरकार से हिन्दू सिखों के जीवन और संपत्ति की रक्षा के लिए समय पर ठोस कदम उठाने की अपील की।

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