आईएसबीटी सेक्ट-43 चंडीगढ़ में किया 83 चालकों व परिचालकों ने रक्तदान


कल्याण केसरी न्यूज़ चंडीगढ़ 21 दिसंबर 2023; विश्वास फाउंडेशन पंचकूला, समस्त सीटीयू स्टाफ व भारतीय रेडक्रॉस सोसाइटी चंडीगढ़ शाखा के सचिव रूपेश कुमार आईएएस व अतिरिक्त उपायुक्त चंडीगढ़ प्रशासन एवं प्रदूमन सिंह एचसीएस निर्देशक परिवहन सीटीयू के दिशा निर्देश में रक्त की आपूर्ति को पूरा करने के उद्देश्य से आईएसबीटी सेक्टर-43 चंडीगढ़ में विशाल रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। यह रक्तदान शिविर छोटे साहिबज़ादों के बलिदान को समर्पित लगाया गया। शिविर सुबह 10:00 बजे शुरू हुआ और दोपहर बाद 3:00 बजे तक चला। शिविर में 91 डोनर्स ने रक्तदान करने के लिए रजिस्टर करवाया 8 को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों की वजह से रक्तदान करने के लिए मना कर दिया गया। ब्लड बैंक जीएमएसएच सेक्टर-16 चंडीगढ़ की टीम ने डॉक्टर सिमरजीत कौर गिल की देखरेख में 83 यूनिट्स रक्त एकत्रित किया।विश्वास फाउंडेशन की अध्यक्ष साध्वी नीलिमा विश्वास ने बताया कि शिविर की शिविर को सफल बनाने में कुलवीन्द्र चीमा, गगनदीप सिंह, रवींद्र सिंह, सुरिंदर कौर चीमा, जसलीन कौर व सहजवीर सिंह का सहयोग अति सराहनीय रहा।

शिविर में रेडक्रॉस यूटी चंडीगढ़ की वरिष्ट सहायक पूनम मलिक ने रक्तदानियों को जागरूक किया एवं तंबाकू के नुकसान बारे लोगों को जागरूक किया तथा रेडक्रॉस के द्वारा खाने की गाड़ी द्वारा 150 लोगों को खाना भी वितरित किया गया। इस अवसर पर उनके साथ सुशील कुमार टाँक ट्राइनिग सूपर्वाइज़र व राज कुमार शर्मा, जसवंत सिंह जससा, सतीन्द्र सिंह, अजित कुमार व गुलाब सिंह उपस्थित रहे।पूनम मालिक व सुशील कुमार टाँक ने बताया कि लोगों में यह भ्रम है कि रक्तदान करने से शरीर में कमजोरी आती है। रक्तदान के कारण कोई कमजोरी नहीं आती, बल्कि सभी को 90 दिन में एक बार अवश्य ही रक्तदान करना चाहिए। इससे जरूरतमंदों को मदद मिलती है साथ ही शरीर स्वस्थ रहता है। रक्तदान महादान है और रक्त का कोई विकल्प नहीं है और न ही इसे कृत्रिम तरीके से बनाया जा सकता। रक्तदान जैसा पुनीत काम सबसे बड़ी सेवा में आता है।कुलवीन्द्र चीमा, गगनदीप सिंह व रवींद्र सिंह ने बताया कि पूर्व में रक्तदान से शरीर में कमजोरी आना व बीमारी लगने जैसी अनेक प्रकार की भ्रांतियां थी परंतु आज यह भ्रांतियां दूर हो चुकी है और हमारे युवा बड़ी संख्या में रक्तदान कर रहे है। यह प्रसन्नता का विषय है कि आज हमारी बेटियां भी रक्तदान के मामले में लड़कों से पीछे नहीं है और स्वयं आगे आकर रक्तदान कर रही है। समय पर रक्त की उपलब्धता होने से अमूल्य जीवन को बचाया जा सकता है। यदि हम रक्तदान के माध्यम से किसी का जीवन बचा सकते है तो इससे बड़ा उपकार नहीं हो सकता।

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