कल्याण केसरी न्यूज़ अमृतसर 3 मई 2025:डिप्टी कमिश्नर अमृतसर श्रीमती साक्षी साहनी द्वारा सीमावर्ती गांव मोडी को आदर्श गांव के रूप में विकसित करने के दिए गए निर्देशों के अनुसार जिला प्रशासन ने गांव में लोगों को बुनियादी सुविधाएं प्रदान कीं तथा युवाओं के लिए वॉलीबॉल, कबड्डी और क्रिकेट के खेल मैदान तैयार किए। जिला अधिकारियों ने भी गांव का दौरा किया और गांव के बच्चों को परामर्श प्रदान किया। इनमें जिला रोजगार ब्यूरो के उपनिदेशक एस. तीरथपाल सिंह और रेड क्रॉस के सचिव श्री सैमसन मसीह भी शामिल थे, जिन्होंने बच्चों से मिलने के लिए कई दिन गांव का दौरा किया। स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के अलावा दसवीं, बारहवीं या स्नातक की पढ़ाई पूरी कर चुके बच्चों से भी मुलाकात की गई।तीरथ पाल सिंह ने कहा कि वे गांव के लड़के-लड़कियों के स्वास्थ्य और कद-काठी से बहुत प्रभावित हुए, लेकिन इस बात से निराश भी हुए कि बच्चों में रोजगार के अवसरों के बारे में जानकारी बहुत कम है। उन्होंने कहा कि हाल ही में पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों में भर्ती अभियान चला था, लेकिन ये बच्चे जानकारी के अभाव में आवेदन नहीं कर पाए, जबकि उनकी शारीरिक फिटनेस के कारण उनके पास बेहतरीन अवसर था। उन्होंने स्नातक कर चुकी लड़कियों को बी.एड. करने की सलाह दी ताकि वे शिक्षक बनने की अपनी योग्यता पूरी कर सकें।
इस दौरान जब उन्होंने सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों से मुलाकात की तो उनमें से कुछ ने उपायुक्त बनने का अपना सपना अधिकारियों के साथ साझा किया। सरदार तीरथ पाल सिंह ने उक्त बच्चों को अमृतसर स्थित डीसी कार्यालय में लाकर उन्हें डिप्टी कमिश्नर के कार्य व जिम्मेदारियों के बारे में जानकारी दी तथा उन्हें डीसी कार्यालय दिखाया जहां डिप्टी कमिश्नर ने विशेष रूप से उन बच्चों से मुलाकात की। उपायुक्त ने बच्चों से बातचीत की तथा उन्हें अपनी कुर्सी पर बैठाकर उनका मार्गदर्शन किया तथा उनका उत्साहवर्धन किया। उपायुक्त ने एस. तीरथपाल सिंह को निर्देश दिए कि वे इन बच्चों को आई-एक्सपायर प्रोग्राम में पंजीकृत करें तथा यूपीएससी परीक्षा के लिए इन बच्चों का मार्गदर्शन करते रहें ताकि इन बच्चों को परीक्षा के लिए तैयार किया जा सके।उल्लेखनीय है कि अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर जिले में आई एस्पायर नाम से एक कार्यक्रम चला रहे हैं, जिसमें भविष्य में कुछ भी बनने की चाहत रखने वाले बच्चों का मार्गदर्शन किया जाता है। उन्हें उस क्षेत्र के विशेषज्ञों से परिचित कराया जाता है और उस शिक्षा के लिए तैयार किया जाता है। अब तक जिले में 150 बच्चों को आईएस्पायर के तहत मार्गदर्शन प्रदान किया जा चुका है।