आम आदमी पार्टी पंजाब में आधार बनाने के लिए सुने लोगों की आवाज़ और करे ज़मीनी नेताओं और वर्करों का सम्मान

कल्याण केसरी न्यूज़ अमृतसर: आम आदमी पार्टी जब 26 नवंबर 2012 में अरविन्द केजरीवाल के नेतृत्व में बनी थी तो लोगों के मन में पार्टी के प्रति बहुत सी उम्मीदों का बीज पैदा हुआ और लोगों को लगने की अब देश के हालात बदलेंगे। लोगों की सोच के बदलने के पीछे सबसे बड़ा कारण बाकी पार्टियों की कहनी व करनी में जमीन आसामान का अंतर था, जिस से लोग ऊब गए थे। आम आदमी पार्टी ने पार्टी की नींव भ्रष्टाचार मुक्त समाज का निर्माण करना, सिस्टम में सुधार करने तथा आम जनता और शहीदों के सपनों को साकार करने और देश को फिर से सोने की चिडिय़ा बनाने तथा इंकलाब जिंदाबाद, वन्दे मातरम के नारों के साथ रखी। दिल्ली में आम आदमी पार्टी को कामयाबी भी मिली और वह लगातार तीन बार दिल्ली में जीत कर सरकार बनाती रही। बेशक पहली बार थोड़ा समय ही सरकार चल पाई लेकिन बाद में दो बार लगातार पूरे बहुुमत के साथ सत्ता में आई परन्तु जब आम आदमी पार्टी के पंजाब में आधार की बात की जाती है तो पार्टी की स्थिति में अलग-अलग समय में काफ़ी बदलाव देखने को मिलते रहे और मौजूदा समय में देखा जाये तो आम आदमी पार्टी का आधार पंजाब के संगरूर इलाके को छोड़ कर बाकी स्थानों में इतना बढिय़ा देखने को नहीं मिल रहा, दिन प्रतिदिन पार्टी का आधार कुछ बढ़ता नजऱ भी नहीं आ रहा इसी लिए आए दिन दूसरी पार्टियों के नेताओं के पार्टी में शामिल होने और पार्टी को मज़बूत करने की कोशिशों की चर्चा आम ही सुनने को मिलती रहती है। इसके बारे में आम आदमी पार्टी को सब से पहले पार्टी के हालातों के नीचे जाने के पीछे कारणों को ढूँढना पड़ेगा और बहुत ही गंभीरता के साथ आगे आ कर काम करना पड़ेगा।

किसी को अधिकारित प्रधान या अधिकारित जिम्मेवारी न देना सब से बड़ा कारण – हर पार्टी का अपनी-अपनी एक व्यवस्था होती है, कानून होता है या मर्यादा होती है। जिसको ले कर पार्टी काम करती है। भाजपा और कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टियाँ हैं, इनकी व्यवस्था यह है, सभी राज्यों की जिम्मेवारी किसी व्यक्ति को दे दी जाती है, परंतु आम आदमी पार्टी जब की होंद में आई काम केवल दिल्ली हैडक्वाटर से चला और अलग-अलग राज्यों  में चुनावों के समय पंजाब, हरियाणा, हिमाचल और दूसरे प्रदेशों में दिल्ली से मैंबर इंचार्ज बना कर भेजे गए। जिसका आम आदमी पार्टी को बहुत ही नुक्सान हुआ क्योंकि जितने भी व्यक्ति दिल्ली हैडक्वाटर से भेजे गए, उन पर पार्टी फंड के नाम के भ्रष्टाचार करने और टिकटों को बांटने के नाम पर पैसों का लेन-देन करने के आरोप लगे, जिसकी कुछ वीडियो भी वायरल होती रही। जिसका सीधा प्रभाव पार्टी के प्रति दिन रात एक करने वाले वलंटियरोंं और वर्करों के मन पर पड़ा और उनके मन में यह सोच घर करने लगी कि आम आदमी पार्टी भी दूसरों पार्टियाँ जैसी ही निकली, यदि टिकटों की वितरण पैसों के साथ ही होना है और हम पर बंदे ऊपर से ही ला कर बैठाने हैं और उम्मीदवार भी पैरासूटों के साथ आने हैं तो दूसरी पार्टियाँ और इनमें क्या फर्क रह गया। दिल्ली से आए नेताओं ने इस चीज़ का नाजायज फ़ायदा भी उठाया और वर्करों की भावनाओं के साथ जमकर खिलवाड़ किया। इसके साथ साथ पार्टी में पार्टी को नुक्सान पहुँचाने के लिए शामिल होने वाले वर्करों और नेताओं ने भी अपने धड़े बनाने की भरपूर कोशिशें की, जिन में कहीं न कहीं उन के मंसूबे कामयाब भी हुए। इसके पीछे कारण यही रहा कि जिम्मेवारी पंजाब के किसी व्यक्ति को नहीं दी गई, क्योंकि यदि किसी की कोई जिम्मेवारी होती तो शायद हो सकता थी कि ऐसे काम न होते और पार्टी का आधार दिन दिन बढ़ता-बढ़ता पार्टी कहीं न कहीं स्टैंड कर लेती।

दूसरी पार्टियों में से आए नेतायों ने अपनी राजनीति ही चमकाई – आम आदमी पार्टी की गाड़ी पंजाब में यदि आगे नहीं बढ़ सकी, तो इसके पीछे कारण दूसरों पार्टियाँ में से आने वाले नेतायों की तरफ से आम आदमी पार्टी को आगे बढ़ाने की बजाए अपनी राजनीति को चमकाना बताया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो पार्टी में शामिल हुए कुछ नेताओं ने तो पार्टी में होते हुए पार्टी में अलग -अलग धढ़े बनाऐ और जब धढ़े बन गए उनको लगा कि अब पार्टी से अलग हो कर काम किया जा सकता है तो अपनी अलग ही एक टोली बना के लिए और अलग तौर पर पार्टी बना कर काम करना शुरू कर दिया। जिसका ज़्यादातर नुक्सान आम आदमी पार्टी को हुआ। लोगों ने पार्टी पर भरोसा तो क्या करना था पार्टी वर्करों और वलंटियरों का ही हौसला और विश्वास अपने पैरा से डोलने लगा, जिन वलंटियरों ने दिन रात मेहनत करके पार्टी के लिए काम किया वह अपने आप ही पीछे होने लग पड़े। वह वालंटियर दूसरों पार्टियों के साथ नहीं जुड़े बल्कि आराम के साथ घर ही बैठ गए, क्योंकि उन की भावनायों की कद्र करने वाली पार्टी उनको आम आदमी पार्टी से सिवाए ओर कोई नजऱ ही नहीं आई।

पंजाब व दिल्ली की सियासत में जमीन आसमान का अंतर – इस समय पर आम आदमी पार्टी दिल्ली में सत्ता पर कायम है और जिस तरह के साथ आप की सरकार लोगों के साथ जुड़ गई है लगता नहीं है कि आने वाले समय में भी उनको दिल्ली में हराना कोई आसान काम होगा। दिल्ली को छोड़ कर दूसरे राज्यों पंजाब, हिमाचल, हरियाणा सहित में पार्टी को अब फिर से शुरुआत से ए.बी.सी. पडऩी होगी क्योंकि दिल्ली व पंजाब की सियासत में जमीन आसमान का अंतर है। पंजाब की सियासत को समझने तथा पार्टी को किसी तरह पंजाब में कामयाब किया जा सकता है, वह केवल एक पंजाबी लीडरशिप ही तय कर सकती है। पंजाब में किसी एक व्यक्ति को अधिकारत तौर पर पंजाब का प्रधान नियुुक्त करने के साथ साथ पंजाब के प्रति फैसले लेने की छुट दी जानी चाहिए। वह भी उस व्यक्ति को जिम्मेवारी देनी होगी, जिस पर पार्टी वर्कर, वालंटियर और लोग विश्वास कर सकें और वह पार्टी में पड़ी हुई दरारों व धड़ेबंदियों को ख़त्म कर सके। इसके साथ साथ जिन वर्करों और वलंटियरों ने पार्टी के लिए काम किया उन पर यकीन करना होगा और उनको विश्वास में लेना होगा ताकि पार्टी का आधार पंजाब में कायम हो सकता है।

विधायक के उम्मीदवारों के नामों जल्दी घोषणा के साथ उनके चयन समय लोगों की आवाज़ को सुनना जरूरी – जब आम आदमी पार्टी बनी थी तो उनके कुछ नियम और कानून बनाए गए थे कि पार्टी की तरफ से टिकटों देने के समय ईमानदार, मेहनती, ज़मीन के साथ जुड़े व्यक्ति को प्राथमिकता दी जायेगी परंतु वोटों के समय हुआ इस से उल्ट। सूत्रों की मानें तो पार्टी की तरफ से टिकटों के वितरण के समय पैसे और सिफ़ारिश को पहल देते हुए पार्टी वलंटीयरों को अनदेखा किया गया, जिसके साथ पार्टी वलंटियरों के मन को ठेस पहुंची । इसके साथ साथ लोगों में इसका संदेश सही नहीं गया। इन बातों को ध्यान में रखते हुए विधानसभा मतदान के लिए उम्मीदवारों का घोषणा जल्दी कर देनी चाहिए क्योंकि समय लगभग 2 साल का है, जिस उम्मीदवार का नाम घोषित किया जाएगा, उसको अपने क्षेत्र में काम करने का समय मिलेगा और इसका फ़ायदा आने वाले समय में पार्टी को देखने को मिलेगा। इसके साथ-साथ उम्मीदवारों का चयन करते हुए लोगों की आवाज़ को सुनना भी बहुत जरूरी है, यदि लोगों के साथ जुड़े उम्मीदवार को टिकट दी जायेगी तो लोगों में पार्टी के प्रति सोच बदलेगी और लोगों का रुझान पहले की तरह पार्टी प्रति होगा, जिसके नतीजे के तौर पर पार्टी दिल्ली के तरह पंजाब में भी बुलन्दीयों को छूएगी।

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